
कांग्रेस नेता ने कहा कि हम इसका पूरा समर्थन करते हैं लेकिन हम एक समयसीमा चाहते हैं। हम जानना चाहते हैं कि यह कब तक होगा। यह पहला कदम है। तेलंगाना जाति जनगणना में एक मॉडल बन गया है और यह एक खाका बन सकता है। हम जाति जनगणना की रूपरेखा तैयार करने में सरकार को अपना समर्थन देते हैं… दो उदाहरण हैं – बिहार और तेलंगाना और दोनों में बहुत अंतर है। उन्होंने आगे कहा कि मैं फिर से कहना चाहूँगा कि जाति जनगणना पहला कदम है। हमारा सपना जाति जनगणना के ज़रिए विकास की नई मिसाल कायम करना है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ़ आरक्षण ही नहीं, बल्कि हम केंद्रीय सवाल भी पूछ रहे हैं – चाहे वो ओबीसी हो, दलित हो, आदिवासी हो, इस देश में उनकी भागीदारी क्या है? जाति जनगणना से पता चल जाएगा, लेकिन हमें जाति जनगणना से आगे बढ़ना होगा…हमने एक और बात कही थी, कांग्रेस ने एक और बात उठाई थी, घोषणापत्र में भी इसका ज़िक्र था — अनुच्छेद 15(5) – निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण। यह पहले से ही एक कानून है। हम चाहते हैं कि एनडीए-बीजेपी सरकार इसे लागू करना शुरू करे।
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लगातार जातिगत जनगणना की माँग उठाई थी, जिसके सबसे मुखर पक्षधर राहुल गांधी रहे। आज मोदी सरकार ने Census के साथ जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की है। ये सही कदम है जिसकी हम पहले दिन से माँग कर रहे थे। मैंने कई बार इसे संसद में उठाया और प्रधानमंत्री जी को पत्र भी लिखा। INDIA गठबंधन के नेताओं ने भी कई बार जातिगत जनगणना की माँग की है और लोकसभा चुनाव में ये अहम मुद्दा बना। बार-बार प्रधानमंत्री मोदी जी सामाजिक न्याय की इस नीति को लागू करने से बचते रहे और विपक्ष पर समाज को बांटने का झूठा आरोप लगाते रहे।
उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना के अभाव में, सार्थक सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण कार्यक्रमों का क्रियान्वयन अधूरा है, इसीलिए ये सभी वर्गों के लिए ज़रूरी है। जनगणना के लिए इस साल के बजट में भी केवल ₹575 करोड़ का आवंटन है, इसलिए ये सवाल मुनासिब है कि सरकार इसको कैसे और कब पूरा करेगी। कांग्रेस पार्टी ये माँग करती है कि मोदी सरकार जल्द से जल्द, बजट का प्रावधान कर, जनगणना और जातिगत जनगणना का काम पूरी पारदर्शिता के साथ चालू करे। जातिगत जनगणना ज़रूरी है, हिस्सेदारी न्याय के बिना सबकी प्रगति अधूरी है।