
उन्होंने बताया कि यहां का पेड़ा बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, खरसिया, बरमकेला, सरिया, सारंगढ़, बसना, सरायपाली और न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों में भी डिमांड में है. दिल्ली तक इसका स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ चुका है.
दो तरह के मिलते हैं पेड़े
गंगाधर बताते हैं कि यहां दो तरह के पेड़े मिलते हैं, जिनकी कीमत 350 और 400 रुपए प्रति किलो है. खास बात यह है कि यहां जो पेड़ा बनता है, उसमें केवल शुद्ध दूध का ही इस्तेमाल होता है. दूध को पारंपरिक बड़े कड़ाह में धीमी आंच पर पकाकर, उसमें चीनी और इलायची मिलाई जाती है, जिससे इसका स्वाद बेहद खास हो जाता है. गंगाधर यादव का दावा है कि त्यौहारों के मौसम में जैसे रक्षाबंधन, दिवाली, दशहरा और होली में इतनी डिमांड हो जाती है कि उत्पादन के बाद भी सप्लाई पूरी नहीं हो पाती. उनकी दुकान से प्रतिदिन 50 से 100 किलो पेड़े की बिक्री होती है, और कई बार ऑर्डर के अनुसार एक क्विंटल तक पेड़ा बिक जाता है.
बड़े शहरों से ऑनलाइन मिल रहे ऑर्डर
देश के बड़े शहरों से ऑनलाइन और फोन पर ऑर्डर मिलने लगे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि हसौद का यह लोकल स्वाद अब नेशनल ब्रांड बनने की ओर अग्रसर है. मिठाई के शौकीनों के लिए यह पेड़ा अब सिर्फ स्वाद नहीं, एक पहचान बन चुका है. छत्तीसगढ़ की मिट्टी से निकली मिठास जो पूरे देश में बिखर रही है.पेडा का ऑर्डर देने गंगाधर के मोबाइल नंबर 9340885906 पर संपर्क कर सकते हैं.