
1933 में आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव अरगोंडा में एक बच्चा पैदा हुआ. उसने अपना उद्देश्य लोगों के दुख-दर्द को मिटाने को ही बनाया. उसी बच्चे को बाद में डॉ. प्रताप चंद्र रेड्डी के नाम से पहचाना गया. डॉक्टर बनने का अपना सपना पूरा करते हुए वह अरगोंडा के पहले व्यक्ति बने, जिन्होंने बोस्टन के मशहूर मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल से कार्डियोलॉजी की पढ़ाई की. इससे पहले उन्होंने भारत से MBBS की डिग्री ली थी. फिर यूके के रॉयल कॉलेज से फैलोशिप भी ली. लेकिन एक दिन जब उन्होंने देखा कि भारत में एक बच्चा सिर्फ इसलिए मर गया, क्योंकि उसके परिवार के पास विदेश जाकर इलाज कराने के पैसे नहीं थे- तो उनका दिल पसीज गया.
बैंकों ने नहीं की मदद, जमीन गिरवी रखकर बनाया अस्पताल
1971 में डॉ. रेड्डी ने सबकुछ छोड़कर भारत लौटने का फैसला किया. उनके दिल में एक सपना था- भारत में दुनिया का सबसे अच्छा इलाज मिले और भारत में ही मिले. लेकिन रास्ता आसान नहीं था. न बैंक मदद को तैयार थे, न सरकार. उन्होंने अपने परिवार की 3 करोड़ की जमीन गिरवी रखी और 1983 में चेन्नई में अपोलो हॉस्पिटल की नींव रखी. पहले अस्पताल में सिर्फ 150 बेड से शुरुआत की गई.
भारत में उस समय बहुत कम अच्छे डॉक्टर थे. अब सपने को पूरा करने के लिए अच्छे डॉक्टरों की जरूरत तो थी ही. ऐसे में डॉ. रेड्डी खुद अमेरिका गए और भारत से वहां जाकर काम करने वाले डॉक्टरों से गुज़ारिश की कि वे अपने देश लौट आएँ और अपने लोगों का इलाज करें. धीरे-धीरे डॉक्टर उनके साथ जुड़ने लगे और अस्पताल का विस्तार होता गया.
आखिरकार, उनकी मेहनत रंग लाई. तीन साल में अपोलो हॉस्पिटल मुनाफे में आ गया. इसके बाद उन्होंने कई शहरों में हॉस्पिटल खोले, जिनमें अहमदाबाद, बिलासपुर, मैसूर, कोलकाता जैसी जगहें शामिल थीं.
धीरे-धीरे ग्रुप ने बढ़ाए अपने कदम
2003 तक अपोलो का कारोबार 300 करोड़ पार कर गया था. फिर अपोलो भारत का पहला हॉस्पिटल ग्रुप बना जो शेयर बाजार में लिस्ट हुआ. और फिर तो जैसे सपनों को पंख लग गए. 2014 में उन्होंने एक फार्मेसी चेन खरीदी और उसे Apollo Pharmacy बना दिया गया. 2015 में घर बैठे इलाज की सुविधा शुरू की, जिसे अपोलो होमकेयर (Apollo HomeCare) नाम दिया गया. 2020 में डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म Apollo 24/7 लॉन्च किया, जिसने दो साल में 1 करोड़ से ज्यादा लोग जोड़ लिए.
2022 तक अपोलो 70 से ज्यादा हॉस्पिटल्स, 10,000 बेड, 6000 फार्मेसी स्टोर्स, और 120 से देशों के मरीजों का भरोसा जीत चुका था. दुनियाभर के लोग भारत को हेल्थ का हब मानने लगे और यहां आकर इलाज कराने लगे. जैसे-जैसे भारत की पहचान हेल्थ हब की बन रही है, अपोलो हॉस्पिटल भी अपने कदम बढ़ा रहा है.
अब मार्केट कैप 1 लाख करोड़ के पार
26 अप्रैल 2024 को अपोलो ने एक और बड़ा मुकाम हासिल किया. अस्पताल 22,000 करोड़ वैल्यू के साथ भारत का सबसे महंगा हॉस्पिटल ग्रुप बन गया. यह वैल्यूएशन शेयर बाजार में अपोलो के शेयर में आई तेजी की वजह से बनी. निवेशकों ने खूब भरोसा जताया. फिलहाल अपोलो हॉस्पिटल इंटरप्राइजेज लिमिटेड की मार्केट कैप 1,00,820 करोड़ रुपये है. मार्केट कैप के हिसाब से आज (28 अप्रैल 2025 तक) केवल मैक्स हेल्थकेयर उनसे ऊपर है, जिसकी मार्केट कैप 1,07,975.79 करोड़ रुपये है.
डॉ. प्रताप चंद्र रेड्डी अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के चेयरमैन के तौर पर काम कर रहे हैं. 92 वर्ष की आयु के होने के बावजूद वे आज भी हर दिन 20 घंटे तक काम करते हैं, ताकि सबको विश्वस्तरीय हेल्थकेयर सुविधा मिल सके. कई मीडिया रिपोर्ट्स में कवर किया गया है कि डॉ. प्रताप चंद्र रेड्डी पिछले 30 सालों से अपने गांव अरगोंडा में 10,000 से ज्यादा मरीजों का सिर्फ 1 रुपये में इलाज कर चुके हैं. जहां एक तरफ उन्होंने भारत को वर्ल्ड क्लास हेल्थकेयर दिया, वहीं दूसरी तरफ अपने गांव के गरीब मरीजों के लिए अपने सपने को जिंदा रखा है.