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भारत की ओर से लगाए गए आयात प्रतिबंधों से बांग्लादेश का भारत के लिए 2 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट मार्केट 15-20% तक कम हो सकता है।
भारत ने बांग्लादेश से होने वाले आयात पर नए प्रतिबंध लगाए है। इस कदम से बांग्लादेश की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ने की संभावना है। भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने 17 मई को इसकी घोषणा की। इस कदम को दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और बांग्लादेश की हालिया नीतियों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
सवाल 1: भारत ने बांग्लादेश पर कौन से नए आयात प्रतिबंध लगाए हैं?
जवाब: भारत ने बांग्लादेश से कई उपभोक्ता सामानों के आयात पर लैंड बॉर्डर के माध्यम से रोक लगा दी है। इनमें शामिल हैं:
- शर्ट, पैंट, टी-शर्ट जैसे रेडीमेड गारमेंट्स
- बिस्किट, चिप्स, कनफेक्शनरी, स्नैक्स प्रोसेस्ड फूड आइटम
- कार्बोनेटेड और एनर्जी ड्रिंक्स
- बाल्टी, खिलौने, कुर्सियां जैसे प्लास्टिक उत्पाद
- कॉटन वेस्ट और इंडस्ट्रियल ग्रेड कॉटन बाय प्रोडक्ट
- सोफा, बेड, टेबल, कुर्सियां जैसा लकड़ी का फर्नीचर
ये सामान अब नॉर्थ-ईस्ट (असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम) और पश्चिम बंगाल के लैंड कस्टम स्टेशनों (LCS) या इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट्स (ICP) जैसे पेट्रापोल (पश्चिम बंगाल), सुतरकंडी (असम), या डॉकी (मेघालय) जैसे लैंड पोर्ट्स के माध्यम से भारत में प्रवेश नहीं कर सकते। इसके बजाय, बांग्लादेश को मुंबई के नवा शेवा पोर्ट या कोलकाता के श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के माध्यम से समुद्री मार्ग का उपयोग करना होगा।
हालांकि, कुछ आवश्यक वस्तुओं जैसे मछली और समुद्री भोजन, LPG, एडिबल ऑयल और क्रस्ट स्टोन पर ये प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। साथ ही, नेपाल और भूटान को बांग्लादेश के माध्यम से भेजे जाने वाले सामान पर भी कोई रोक नहीं लगाई गई है, क्योंकि भारत इन देशों के साथ फ्रेंडली रिलेशन बनाए रखना चाहता है।

सवाल 2: भारत ने ये प्रतिबंध क्यों लगाए हैं?
जवाब: यह कदम बांग्लादेश की हालिया व्यापार नीतियों के जवाब में देखा जा रहा है। अप्रैल 2025 में, बांग्लादेश ने भारतीय यार्न आयात पर लैंड पोर्ट्स के माध्यम से प्रतिबंध लगाए और बेनापोल-पेट्रापोल चेकपोस्ट पर भारतीय ट्रकों के लिए कस्टम क्लीयरेंस में लगने वाला समय बढ़ाकर नॉन-टैरिफ बैरियर्स क्रिएट किए।
इनका उद्देश्य भारतीय उत्पादों को बांग्लादेश में प्रवेश करने से रोकना था। इसके अलावा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस के भारत-विरोधी बयान, खासकर नॉर्थ-ईस्ट को लेकर चीन में दिए बयान ने भारत को यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
बांग्लादेश के लीडर ने कहा था…

भारत के सात राज्य… भारत के पूर्वी हिस्से… जिन्हें सेवन सिस्टर्स कहा जाता है, ये भारत के लैंडलॉक्ड क्षेत्र हैं। समंदर तक उनकी पहुंच का कोई रास्ता नहीं है। इस पूरे क्षेत्र के लिए समंदर के अकेले संरक्षक हम हैं। इसलिए यह विशाल संभावना के द्वार खोलता है। इसलिए यह चीनी अर्थव्यवस्था के लिए विस्तार हो सकता है… चीजें बनाएं, उत्पादन करें… चीज़ें बाज़ार में ले जाएं… चीजें चीन में लाएं और बाकी दुनिया तक पहुंचाएं।

सवाल 3: इन प्रतिबंधों का बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?
जवाब: ये प्रतिबंध बांग्लादेश की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था को और ज्यादा कमजोर कर सकते हैं…
- गारमेंट इंडस्ट्री: पिछले साल, बांग्लादेश से भारत में रेडीमेड गारमेंट्स का एक्सपोर्ट 700 मिलियन डॉलर का था। इनमें से 93% रेडीमेड गारमेंट एक्सपोर्ट भारत के लैंड रूट्स के जरिए हुए। समुद्री मार्ग पर शिफ्ट होने से शिपिंग कॉस्ट 20-30% बढ़ जाएगी, जिससे ये प्रोडक्ट कम कॉम्पिटिटिव होंगे।
- ट्रेड घट जाएगा: इन प्रतिबंधों से बांग्लादेश का भारत के लिए 2 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट मार्केट 15-20% तक कम हो सकता है। इससे उसका व्यापार घाटा और भी ज्यादा बढ जाएगा। गारमेंट, फूड प्रोसेसिंग, और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में हजारों वर्कर्स की नौकरियां खतरे में आ सकती है।
- आर्थिक दबाव: विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और टका के अवमूल्यन के बीच, एक्सपोर्ट कॉस्ट बढ़ने से बांग्लादेश के पेमेंट बैलेंस पर और प्रेशर आएगा। वहीं सख्त नियमों के कारण छोटे और मध्यम उद्यमों की कॉम्पिटिटिवनेस कम होगी।

बांग्लादेश कपड़ों का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
सवाल 4: बांग्लादेश के कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?
जवाब: लाखों लोगों को रोजगार देने वाली गारमेंट इंडस्ट्री सबसे ज्यादा प्रभावित होगी। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड, प्लास्टिक, और फर्नीचर इंडस्ट्री को भी बढ़ती लागत और सख्त कस्टम नियमों से जूझना होगा। संसाधनों की कमी से जूझ रहे छोटे और मध्यम उद्यम बाजार हिस्सेदारी खो सकते हैं या बंद हो सकते हैं।
सवाल 5: इस कदम के पॉलिटिकल इम्प्लिकेशन्स क्या हैं?
जवाब: ये प्रतिबंध भारत का बांग्लादेश को संदेश हैं कि व्यापार पारस्परिक लाभ पर आधारित होना चाहिए। यह बांग्लादेश की हालिया नीतियों और यूनुस के उत्तेजक बयानों के प्रति भारत की नाराजगी को दर्शाता है। यह कदम चीन के बांग्लादेश में बढ़ते प्रभाव को रोकने की भारत की रणनीति का भी हिस्सा है।
सवाल 6: क्या इससे भारत के घरेलू उद्योगों को फायदा होगा?
जवाब: हां, सस्ते बांग्लादेशी आयात पर अंकुश लगने से भारत के गारमेंट, फूड, और फर्नीचर इंडस्ट्री को फायदा मिल सकता है, खासकर नॉर्थ-ईस्ट और वेस्ट बंगाल में। हालांकि, इन रीजन के कंज्यूमर्स को पहले बांग्लादेश से सस्ते दामों पर मिलने वाले सामानों के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।

सवाल 7: बांग्लादेश प्रभाव को कम करने के लिए क्या कर सकता है?
जवाब: बांग्लादेश के पास कुछ विकल्प हैं, हालांकि सभी चुनौतीपूर्ण हैं:
- भारत के साथ बातचीत कर बांग्लादेश प्रतिबंधों में ढील दे सकता है और संबंध सुधारने की कोशिश कर सकता है।
- नए निर्यात गंतव्यों की तलाश कर सकता है। हालांकि भारत को 15% निर्यात को देखते हुए यह लंबी प्रक्रिया है।
- भारत पर निर्भरता कम करने के लिए लोकल प्रोडक्शन में निवेश कर सकता है। इसके लिए भारी संसाधनों की जरूरत होगी।
शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश का रवैया बदला
अगस्त 2024 में बांग्लादेश में हुए विद्रोह के बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। उन्होंने भारत में शरण ली। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनाई गई और मोहम्मद यूनुस उसके मुखिया बने। शेख हसीना के समय भारत-बांग्लादेश के रिश्ते काफी मजबूत थे, लेकिन उसके बाद बांग्लादेश की एंटी-इंडिया गतिविधियां बढ़ती गईं।
कई बांग्लादेशी नेताओं ने भारत विरोधी बयान दिए और बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू नेताओं को निशाना बनाया। इस वजह से दोनों देशों की तल्खी और ज्यादा बढ़ गई, इसके अलावा बांग्लादेश लगातार पाकिस्तान के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत कर रहा है।