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वक्फ (संशोधन) कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच सुनवाई कर रही है। इससे पहले 5 मई को सुनवाई टल गई थी।
16 अप्रैल की सुनवाई में कोर्ट ने अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी। साथ ही केंद्र का जवाब आने तक वक्फ घोषित संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने को कहा था।
केंद्र ने 25 अप्रैल को दायर हलफनामे में कहा था कि कानून पूरी तरह संवैधानिक है। यह संसद से पास हुआ है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।
1332 पन्नों के हलफनामे में सरकार ने दावा किया 2013 के बाद से वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ। इस वजह से कई बार निजी और सरकारी जमीनों पर विवाद हुआ।
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सरकार के आंकड़ों को गलत बताया और कोर्ट से झूठा हलफनामा देने वाले वाले अधिकारी पर कार्रवाई की मांग की।
नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 70 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई हैं, लेकिन कोर्ट सिर्फ पांच मुख्य याचिकाओं पर ही सुनवाई करेगा। इसमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका शामिल है।
नया कानून अप्रैल में राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हुआ था। लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 सांसदों ने इसका समर्थन किया था। कई विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
कोर्ट ने केंद्र को तीन निर्देश दिए थे…

सॉलिसिटर जनरल बोले- लाखों सुझावों के बाद संशोधित कानून बना अब CJI बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज की बेंच मामले पर सुनवाई करेगी। पहले तत्कालीन CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस खन्ना 13 मई को रिटायर हो गए। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता, जबकि कानून के खिलाफ कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, सीयू सिंह दलीलें रख रहे हैं।
17 अप्रैल की सुनवाई में SG मेहता ने कहा था कि संसद से ‘उचित विचार-विमर्श के साथ’ पारित कानून पर सरकार का पक्ष सुने बिना रोक नहीं लगाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा था कि लाखों सुझावों के बाद नया कानून बना है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमें गांवों को वक्फ ने हड़प लिया। कई निजी संपत्तियों को वक्फ में ले लिया गया। इस पर बेंच ने कहा कि हम अंतिम रूप से निर्णय नहीं ले रहे हैं।
याचिका में 3 बड़ी बातें…
- कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमानों को शामिल करना और डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को वक्फ संपत्ति का फैसला करने का अधिकार देना सरकारी दखलंदाजी को बढ़ाता है।
- यह कानून मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव करता है, क्योंकि अन्य धार्मिक ट्रस्टों पर समान प्रतिबंध नहीं हैं।

16 अप्रैल: पहले दिन की सुनवाई की 3 बड़ी बातें…
1. वक्फ बोर्ड बनाने की प्रक्रिया: कानून के खिलाफ दलील दे रहे कपिल सिब्बल ने कहा,’ हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं, राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?’
2. पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन पर: सिब्बल ने कहा- यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यहां समस्या है। इस पर SG ने कहा- वक्फ का रजिस्ट्रेशन 1995 के कानून में भी था। सिब्बल साहब कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा। अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा। यह 1995 से है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अंग्रेजों से पहले वक्फ रजिस्ट्रेशन नहीं होता था। कई मस्जिदें 13वीं, 14वीं सदी की है। इनके पास रजिस्ट्रेशन या सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।’
3. बोर्ड मेंबर्स में गैर-मुस्लिम: सिब्बल ने कहा, ‘केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि नागरिक धार्मिक और समाजसेवा के लिए संस्था की स्थापना कर सकते हैं।
इस मसले पर CJI और SG के बीच तीखी बहस हुई। कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार हिंदू धार्मिक बोर्ड में मुस्लिमों को शामिल करेगी? SG ने कहा कि वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।
इस पर बेंच ने कहा, ‘नए एक्ट में वक्फ परिषद के 22 सदस्यों में से आठ मुस्लिम होंगे। इसमें दो ऐसे जज हो सकते हैं, जो मुस्लिम न हों। ऐसे में बहुमत गैर मुस्लिमों का होगा। इससे संस्था का धार्मिक चरित्र कैसे बचेगा?’
क्यों हो रहा कानून का विरोध…

पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में हिंसा हुई
- 11 अप्रैल: जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए। कुछ स्थानीय संगठनों और नेताओं ने कानून को अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ बताया। स्थिति तनावपूर्ण बनी तो हुर्रियत नेताओं को नजरबंद किया गया।
- 12 अप्रैल: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में 11-12 अप्रैल को हिंसा हुई थी। भीड़ ने बमबारी की और सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों पर भी हमला किया था। इस हिंसा में 3 लोग मारे गए थे, जबकि 15 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। 300 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

मुर्शिदाबाद में प्रदर्शन के दौरान भीड़ हिंसक हो गई और पुलिसवालों पर पत्थरबाजी की गई।
- 12 अप्रैल: त्रिपुरा के उनाकोटी जिले में 4 हजार लोगों की रैली हिंसक हुई। एसडीपीओ सहित कम से कम 18 पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद पुलिस ने 18 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया।
- 13 अप्रैल: असम के सिलचर में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया। मधुरबंद इलाके में बिना परमिशन हजारों लोग जुट गए। पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश की। पहले धक्का-मुक्की की, फिर पत्थर फेंके। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को भी लाठी चार्ज करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने धार्मिक और भाजपा मुर्दाबाद के नारे लगाए। तमिलगा वेट्री कज़गम (TVK) के अध्यक्ष और अभिनेता विजय ने वक्फ कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

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भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। करीब 9.4 लाख एकड़। इतनी जमीन में दिल्ली जैसे 3 शहर बस जाएं। इसी वक्फ बोर्ड से जुड़े एक्ट में बदलाव के लिए केंद्र सरकार आज संसद में बिल पेश करेगी। विपक्ष के नेता और मुसलमानों का एक बड़ा तबका इसके विरोध में हैं। पूरी खबर पढ़ें…