
Success Story: गुजरात के अमरेली जिले के कुंभारिया गांव की 10 महिलाएं ‘आजीविका नवदुर्गा मंडल’ चलाकर नर्सरी से आम, चीकू, अनार जैसे पौधे बेच रही हैं. हर महिला हर महीने 10-12 हजार रुपये कमा रही है.

गुजरात के अमरेली जिले के राजुला तालुका के कुंभारिया गांव की महिलाएं आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन गई हैं. जहां एक समय गांव की महिलाएं सिर्फ घरेलू कामों तक सीमित थीं, अब वहीं महिलाएं पौधों की नर्सरी के जरिये अपनी कमाई खुद कर रही हैं. कुंभारिया गांव की दस महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया है, जिसका नाम है “आजीविका नवदुर्गा मंडल”. इस मंडल के ज़रिए वे पौधे उगाकर उन्हें बेच रही हैं और हर महीने अच्छी खासी आमदनी कमा रही हैं.
‘नवदुर्गा मंडल’ ने खोली कमाई की नई राह
इस मंडल की शुरुआत कुछ साल पहले हुई थी, जब गांव की महिलाओं ने ठान लिया कि कुछ नया करना है. राधिकाबेन परमार, जो इस समूह की एक सदस्य हैं, बताती हैं कि उन्होंने सिर्फ दसवीं तक पढ़ाई की है लेकिन मेहनत और लगन के बल पर अब वे खुद आत्मनिर्भर हैं. मंडल में शामिल हर महिला आज खुद के पैरों पर खड़ी है. इस छोटे से कदम ने ना सिर्फ उनकी जिंदगी बदली, बल्कि गांव के दूसरे लोगों के लिए भी मिसाल बन गई.
हर महीने 10 से 12 हज़ार की कमाई, दूसरे जिलों तक पहुंचा कारोबार
इस नर्सरी में आम, शरीफा, चीकू, अनार, पपीता, आंवला और अमरूद जैसे फलों के पौधे उगाए जाते हैं. इन पौधों की कीमत 20 रुपये से लेकर 200 रुपये तक होती है. तैयार पौधों को अमरेली ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में भी भेजा जाता है. यहां से रोज़ाना 100 से ज्यादा पौधे बिकते हैं और हर महिला को महीने में करीब 10 से 12 हज़ार रुपये की आय हो जाती है.
सरकार की मदद से बढ़ा हौसला, महिलाएं बनीं रोल मॉडल
गुजरात सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से इन महिलाओं को बड़ा सहयोग मिला है. सरकार की ओर से दी गई आर्थिक और तकनीकी मदद से इन महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है. आज वे न केवल अपने घर का खर्च चला रही हैं, बल्कि दूसरों को भी काम देने की स्थिति में आ गई हैं.
नर्सरी नहीं सिर्फ कमाई का ज़रिया, बल्कि एक बदलाव की शुरुआत
कुंभारिया गांव की यह पहल बताती है कि अगर सही दिशा में कदम उठाया जाए, तो गांव की महिलाएं भी शहरों की तरह आत्मनिर्भर बन सकती हैं. ‘आजीविका नवदुर्गा मंडल’ की महिलाएं आज सिर्फ पौधे नहीं उगा रहीं, बल्कि पूरे समाज में बदलाव के बीज बो रही हैं.