

सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस
DoT यानी दूरसंचार विभाग ने भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस लॉन्च से पहले सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए नियमो को और भी कड़ा कर दिया है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बीच दूरसंचार विभाग ने सर्विस प्रोवाइडर्स Airtel OneWeb, Jio, Amazon Kuiper और Starlink के लिए सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त शर्तें जोड़ दिए हैं। दूरसंचार विभाग ने भारत में सैटेलाइट सर्विस लाइसेंस की परमिशन के लिए सुरक्षा के इन मापदंडों को पूरा करना होगा। DoT की इस सख्ती का सबसे बड़ा असर Starlink पर पड़ सकता है, जिसने अभी तक पुराने सिक्योरिटी स्टैंडर्ड को पूरा नहीं किया है।
क्या है नया फ्रेमवर्क?
दूरसंचार विभाग ने नए फ्रेमवर्क के तहत सैटेलाइट ऑपरेटर्स को नए मापदंड जैसे कि वेबसाइट ब्लॉकिंग, मेटाडेटा कलेक्शन और कानूनी सर्विलांस समेत कई और सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने की सलाह दी है। DoT द्वारा जारी ये नए मापदंड मौजूदा लाइसेंस होल्डर्स भारती एयरटेल OneWeb और जियो SES समेत लाइसेंस के लिए अप्लाई कर चुके अमेजन Kuiper और स्टारलिंक को प्रभावित करेंगे। आइए, जानते हैं इन नई शर्तों के बारे में…
- नए रेगुलेशन के तहत सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर्स को यूजर टर्मिनल्स को वेरिफाई करना होगा। इसके लिए वे ऑथेंटिकेशन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनमें किसी अनरजिस्टर्ड विदेशी डिवाइस को रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के बाद केवल भारत में ही सर्विस एक्सेस मिलेगा।
- इसके अलावा सर्विस प्रोवाइडर्स को सुरक्षा एजेंसी की डिमांड पर भारत की सीमा में यूजर टर्मिनल (फिक्स्ड और मोबाइल) रीयल-टाइम लोकेशन डेटा ट्रैकिंग करना होगा। इसमें यूजर टर्मिनल के लॉन्गिट्यूड और लैटिट्यूड की जानकारी रीयल-टाइम के आधार पर देनी होगी।
- साथ ही, दूरसंचार विभाग ने अपनी नई शर्तों में कहा कि सर्विस प्रोवाइडर्स को यह अंडरटेकिंग देना होगा कि वो भारतीय यूजर्स का डेटा किसी अन्य देश में नहीं भेजेंगे।
- यही नहीं, नए नियम के तहत सर्विस प्रोवाइडर्स किसी यूजर के नेटवर्क को उस स्थिति में टर्मिनेट करेंगे, जब वो किसी अनऑथोराइज्ड एरिया या प्रतिबंधित क्षेत्र में घूम रहे हो।
- नए नियम के तहत दूरसंचार विभाग ने सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा के 50 किलोमीटर के दायरे में स्पेशल सर्विलांस जोन बनाने का प्रावधान रखा है।
इस तरह के कुल 29 से 30 नए सुरक्षा मापदंडो को सैटेलाइट सर्विस लाइसेंस प्राप्त करने वाली कंपनियों के लिए जोड़े गए हैं। दूरसंचार विभाग ने सभी स्टेकहोल्डर्स से गहन विचार-विमर्श के बाद इन नए नियमों को लाइसेंस की शर्तों में जोड़ा है। दूरसंचार विभाग के ये नियम राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जोड़े गए हैं। खास तौर पर पड़ोसी देशों पाकिस्तान और चीन को लेकर सुरक्षा एजेंसियों से मिल रहे इनपुट के बाद DoT द्वारा इन नए प्रावधानों को जोड़ा गया है।
Starlink को लगेगा झटका
Starlink के लिए भारत एक बड़ा मार्केट साबित हो सकता है। कंपनी ने भारत के कुछ पड़ोसी देशों में अपनी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू कर दी है, जबकि कुछ देशों से एलन मस्क की कंपनी को लाइसेंस मिल गया है। भारत में ये अतिरिक्त सिक्योरिटी मापदंड स्टारलिंक की सर्विस लॉन्चिंग में और देरी पहुंचा सकती है।
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