
क्या होता है डबल कंट्रीब्यूशन?
ब्रिटेन में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों से नेशनल इंश्योरेंस (NI) के नाम पर हर साल एक तय राशि वसूली जाती थी. यह भुगतान वहां की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं (Social Security) के लिए होता है, लेकिन इनका लाभ उन्हें नहीं मिल पाता क्योंकि वे कुछ महीनों बाद भारत लौट आते हैं. नतीजा ये होता था कि पैसा कटता तो था, लेकिन कोई पेंशन या सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलता था.
भारतीय वर्कर्स और सरकार सालों से इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठा रहे थे. तर्क था कि जब कोई व्यक्ति कुछ महीनों के लिए अस्थायी वीजा पर काम करने आता है. और वह वहां की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का हिस्सा नहीं बनता, तो उससे जबरन कटौती क्यों की जाए?
भारत ने पहले ही जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क, साउथ कोरिया जैसे देशों से सोशल सिक्योरिटी एग्रीमेंट साइन कर रखा है, जहां इस तरह की दोहरी कटौती नहीं होती. अब UK भी उसी कतार में शामिल हो गया है, जो भारतीय श्रमिकों के लिए एक बड़ी राहत है.
किन्हें होगा सीधा फायदा?
- आईटी कंपनियों, इंजीनियरिंग फर्म्स और हेल्थकेयर ऑर्गनाइजेशंस जो अपने कर्मचारियों को कुछ महीनों के लिए यूके भेजती हैं.
- प्रोफेशनल्स जैसे कि सॉफ्टवेयर डेवलपर, डॉक्टर, शेफ, योगा ट्रेनर, म्यूजिशियन वगैरह, जो सीमित अवधि के प्रोजेक्ट्स पर जाते हैं
- नियोक्ता कंपनियां, जिन्हें अब हर कर्मचारी पर करीब 50 हजार रुपये सालाना बचेंगे.
- खुद पेशेवर, जिन्हें UK में काम करने पर अब गैर-जरूरी आर्थिक भार नहीं झेलना पड़ेगा.
मोदी सरकार ने कैसे हासिल की ये जीत?
इस बार भारत ने FTA बातचीत में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. साफ कहा कि जब तक डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन नहीं आता, , तब तक समझौता अधूरा रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘ऐतिहासिक मील का पत्थर’ बताया है. उनका कहना है कि ये समझौता न सिर्फ व्यापार और निवेश को बढ़ाएगा, बल्कि रोजगार, नवाचार और लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार लाएगा.
FTA से और क्या मिला भारत को?
- भारत के 99% एक्सपोर्ट पर UK में जीरो ड्यूटी लगेगी.
- FTA के तहत भारत को लगभग 100% ट्रेड वैल्यू पर टैरिफ छूट मिलेगी.
- टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, जेम्स एंड ज्वेलरी, स्पोर्ट्स गुड्स जैसे सेक्टर को एक्सपोर्ट का बड़ा मौका मिलेगा.
- योगा इंस्ट्रक्टर्स, शेफ्स और म्यूजिशियंस को भी अस्थायी वीजा पर यूके में काम करने की छूट और वर्क राइट मिलेगा.
- दोनों देशों के बीच 25.5 बिलियन पाउंड का व्यापार बढ़ने की संभावना जताई गई है.
- ब्रिटिश कार, व्हिस्की, चॉकलेट, मेडिकल डिवाइस जैसे प्रोडक्ट्स भारत में सस्ते होंगे.
डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन को खत्म कराना केवल टैक्स बचाने की बात नहीं है, ये उन लाखों भारतीयों की मेहनत का सम्मान है जो सीमित समय के लिए विदेशों में काम करते हैं.