
अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया. 26 निर्दोष लोगों की जान गई और इस हमले का आरोप सीधे तौर पर पाकिस्तान स्थित आतंकियों पर लगाया गया.
जैसे ही यह खबर फैली, पूरे देश में आक्रोश फैल गया. सीमा पर हलचल बढ़ गई और सोशल मीडिया पर युद्ध की मांगें तेज़ हो गईं. लेकिन इस बीच एक दिलचस्प बात यह रही कि जहां हर तरफ डर और बेचैनी का माहौल था, वहीं शेयर बाजार की चाल कुछ और ही कहानी कह रही थी.
बुरी तरह गिरा पाकिस्तान का शेयर बाजार
पाकिस्तान का कराची स्टॉक एक्सचेंज (KSE-100) हमले के बाद बुरी तरह लड़खड़ा गया. सिर्फ दो हफ्तों में इंडेक्स 7,500 अंक गिर गया, यानी लगभग 6 फीसदी की गिरावट. बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे LUCK, ENGROH और UBL के शेयर भी इस गिरावट में बह गए.
जबकि दूसरी ओर भारत के शेयर बाजार ने उल्टा रुख दिखाया. BSE सेंसेक्स ने इसी समय में 1.5 फीसदी की बढ़त दर्ज की. लेकिन यह पहली बार नहीं था जब भारत का शेयर बाजार भारत-पाक तनाव के बावजूद मजबूती से खड़ा रहा.
भारतीय बाजार हमेशा मजबूत हुए
पिछले दो दशकों में जब भी भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव या आतंकी हमले हुए हैं, भारतीय शेयर बाजार ने शुरुआत में हल्की गिरावट जरूर दिखाई, लेकिन जल्दी ही स्थिरता हासिल कर ली. उदाहरण के तौर पर, 2019 में पुलवामा हमले के बाद 14 फरवरी से 1 मार्च के बीच सेंसेक्स और निफ्टी में 1.8 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई.
इसी तरह, 2016 में उरी हमले और उसके बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान 18 से 26 सितंबर के बीच बाजार लगभग 2 फीसदी गिरा. 2001 में संसद पर हुए हमले के समय भी बाजार में अचानक गिरावट देखने को मिली थी, सेंसेक्स में 0.7 फीसदी और निफ्टी में 0.8 फीसदी की कमी आई थी, लेकिन स्थिति नियंत्रण में आते ही बाजार ने खुद को संभाल लिया.
इसके अलावा, 2008 में जब मुंबई पर 26/11 आतंकी हमला हुआ, तब भी बाजार में घबराहट के बजाय मजबूती देखने को मिली, सेंसेक्स में 400 अंकों और निफ्टी में 100 अंकों की बढ़त हुई. वहीं, 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भी शेयर बाजार ने लचीलापन दिखाया और तीन महीने की युद्ध अवधि में केवल 0.8 फीसदी की मामूली गिरावट दर्ज की गई. इन घटनाओं से साफ है कि भारतीय शेयर बाजार धीरे-धीरे राजनीतिक और सैन्य संकटों के प्रति ज्यादा परिपक्व और स्थिर होता जा रहा है.
2001 में संसद पर हमले और उसके बाद के सैन्य तनाव के समय भी आर्थिक नुकसान हुआ, लेकिन शेयर बाजार पर असर सीमित रहा. इसका मुख्य कारण है भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था, जो घरेलू मांग, निवेश और स्थिरता पर आधारित है.
पाकिस्तान के साथ व्यापार ना के बराबर
भारत और पाकिस्तान के बीच आर्थिक संबंध लगभग जीरो हैं. 2024 में पाकिस्तान भारत के कुल निर्यात का सिर्फ 0.5 फीसदी हिस्सा था. इसी वजह से जब पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव होता है, तो इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ता.
पाकिस्तान की स्थिति बहुत कमजोर
पाकिस्तान की स्थिति इस सब में कहीं अधिक नाजुक होती है. पहले से ही आर्थिक संकट, IMF के कर्ज, ऊर्जा की कमी और राजनीतिक अस्थिरता के चलते उसका बाजार छोटे से झटके में ही ध्वस्त हो जाता है. कराची स्टॉक एक्सचेंज की भारी गिरावट इसका सीधा प्रमाण है. निवेशक पैसा निकाल लेते हैं, व्यापार ठप हो जाता है और महंगाई बढ़ जाती है.
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