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जीत के बाद मर्त्ज को बधाई देते पार्टी के नेता
जर्मनी की कंजरवेटिव क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) पार्टी के नेता फ्रेडरिक मर्त्ज को जर्मनी का 10वां चांसलर चुन लिया गया। उन्होंने दूसरे राउंड की वोटिंग में 325 वोट मिले। सीक्रेट वोटिंग में उन्हें 630 में से 316 वोट की जरूरत थी, लेकिन पहले राउंड में उन्हें सिर्फ 310 ही वोट मिले थे, जबकि उनके गठबंधन के पास 328 सीटें थीं।
जर्मनी के इतिहास में यह पहला मौका था जब कोई चांसलर पद का उम्मीदवार पहले दौर में बहुमत हासिल नहीं कर पाया था। मर्त्ज या फिर कोई और उम्मीदवार बहुमत हासिल नहीं कर पाता तो, राष्ट्रपति संसद को भंग कर सकते थे।
फरवरी में हुए राष्ट्रीय चुनावों में CDU/CSU गठबंधन ने सबसे अधिक 28.5 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। हालांकि, बहुमत से सरकार बनाने के लिए उन्हें दूसरे पार्टी का समर्थन भी लेना पड़ा।
जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए एक छोटा सा भाषण दिया। इसके बाद मर्त्ज अपनी कार से संसद रवाना हो गए, जहां उन्हें शपथ दिलाई गई।

मर्ज ने राष्ट्रपति से मिलकर, उन्हें 17 मंत्रियों को नामांकन दस्तावेज सौंपे।
मर्त्ज ने कानून की पढ़ाई की है
मर्त्ज का जन्म 11 नंबर 1955 को पश्चिमी जर्मनी के सॉरलैंड जिले में हुआ था। वे रोमन कैथोलिक परिवार में जन्मे थे। मर्त्ज ने कानून की पढ़ाई की है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत कॉर्पोरेट वकील के तौर पर शुरू की।
मर्त्ज ने 1972 में सोशल डेमोक्रेट्स पार्टी जॉइन की। वे सॉरलैंड से पहली बार 1994 में जर्मन संसद के लिए चुने गए थे। अपनी आर्थिक समझ की वजह से राजनीति में तेजी से आगे बढ़े।
2000 के दशक की शुरुआत में मर्त्ज CDU के संसदीय नेता के तौर पर चुने गए। इसी साल एंजेला मर्केल CDU पार्टी की नेता चुनी गई। 2002 में मार्केल ने संसदीय पद के लिए दावा ठोका।
पूर्व चांसलर मर्केल ने सरकार से निकाला था
2005 में जब CDU ने SPD के साथ मिलकर सरकार बनाई, तो मर्त्ज को सरकार में शामिल नहीं किया गया था। एंजेला मर्केल से बेहतर रिश्ते न होने के चलते मर्त्ज को पार्टी में हाशिए पर डाल दिया गया।
इसके बाद 2009 में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया। इसके बाद वे लगभग 1 दशक तक प्राइवेट सेक्टर से जुड़े रहे। उन्होंने ब्लैकरॉक जैसी बड़ी कंपनी के साथ काम किया।
मर्त्ज ने 2018 में राजनीति में वापसी की। तब तक चांसलर एंजेला मर्केल ने भी पद छोड़ने का फैसला कर लिया था। इसके बाद मर्त्ज ने 2018 और 2021 में पार्टी लीडर का चुनाव लड़ा, हालांकि तब वे हार गए। साल 2022 में वे CDU के अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे। इसके बाद उन्होंने 2025 में CDU पार्टी से चांसलर का चुनाव लड़ा।

2002 में पूर्व जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के साथ फेडरिक मर्त्ज।
मर्त्ज की पार्टी ने 208 सीटें जीती थीं
चुनाव में फ्रेडरिक मर्त्ज की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) पार्टी के गठबंधन ने 208 सीटों पर जीत दर्ज की थी। उसे 28.5% वोट हासिल हुए हैं।
चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी जीत कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी (AFD) को मिली थी। इस पार्टी को 151 सीटों पर जीत मिली है। पार्टी को 20.8% वोट मिले थे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार था कि जर्मनी में किसी कट्टरपंथी दक्षिणपंथी पार्टी ने इतनी सीटें जीती थीं।

कौन होते हैं जर्मन चांसलर
जर्मनी में भारत की तरह ही लोकतांत्रिक व्यवस्था है। भारत की तरह जर्मनी में भी संसदीय व्यवस्था है। जर्मनी की लोकसभा को बुंडेस्टाग कहा जाता है, जिसमें 630 सीटें हैं।
जैसे भारत में सरकार का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है, वैसे ही जर्मनी में चांसलर होता है। दोनों देशों में राष्ट्रपति का भी औपचारिक पद होता है।