
भारत सरकार जल्द ही फोन और टैबलेट बनाने वाली कंपनियों से उनके डिवाइस के रिपेयरबिलिटी स्कोर की घोषणा करने के लिए कह सकती है. इसका मतलब है कि कंपनियों को यह बताना होगा कि उनके डिवाइस कितने आसानी से मरम्मत किए जा …और पढ़ें

हाइलाइट्स
- फोन और टैबलेट पर रिपेयरबिलिटी स्कोर अनिवार्य होगा.
- उपभोक्ता खरीदारी से पहले रिपेयरबिलिटी स्कोर देख सकेंगे.
- स्कोर प्रोडक्ट पैकेजिंग और ई-कॉमर्स लिस्टिंग पर दिखाना होगा.
नई दिल्ली. अब जब भी कोई गैजेट या डिवाइस खरीदते हैं, तो क्या ये सोचते हैं कि उस डिवाइस को कितनी बार रिपेयर करा सकते हैं? नहीं सोचा होगा. लेकिन हर डिवाइस की जैसे लाइफ होती है, वैसे ही ये भी तय होता है कि उसकी मरम्मत आप कितनी बार करा सकते हैं. भारत सरकार ने सभी फोन और टैबलेट बनाने वाले मैन्युफैक्टचरर्स के लिए एक नई योजना तैयार की है, जिसके तहत अब मोबाइल फोन और टैबलेट बनाने वाली कंपनियों को अपने डिवाइस का रिपेयरबिलिटी स्कोर बताना होगा.
रिपेयरबिलिटी स्कोर का मतलब ये होता है कि आपका डिवाइस कितनी बार रिपेयर कराया जा सकता है. उपभोक्ता मामलों के विभाग की एक समिति ने सभी फोन और टैबलेट निर्माताओं को अपने उत्पादों के लिए एक मरम्मत योग्यता सूचकांक (Repairability Index) स्व-घोषित करने का प्रस्ताव दिया है. समिति के अनुसार रिपेयरबिलिटी इंडेक्स को अनिवार्य कर देना चाहिए. ताकि डिवाइस के यूजर को रिपेयरबिलिटी के बारे में ज्यादा स्पष्टता रहे.
रिपेयरबिलिटी स्कोर से क्या होगा फायदा
कोई भी फोन या टैबलेट जब आप खरीदते हैं तो उसके साथ वारंटी आती है. यानी उस वारंटी की समय सीमा के भीतर अगर आपके डिवाइस को कुछ होता है तो कंपनी उसे रिपेयर या रिप्लेस करके देगी. लेकिन वारंटी खत्म होते ही डिवाइस के खराब होने पर टूट जाने पर उसे मरम्मत कराने में यूजर्स को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पडता है. ऐसे में अगर खरीदारी करते समय ही यूजर को उसके रिपेयरबिलिटी स्कोर के बारे में पता हो तो वह डिवाइस को खरीदने के बारे में बेहतर निर्णय ले पाएगा.
Repairability Index हर डिवाइस को इस आधार पर रेटिंग देगा कि उसे खोलना कितना आसान है, स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता, मरम्मत की जानकारी तक पहुंच, सॉफ्टवेयर अपडेट और अन्य चीजें. डिवाइस बनाने वालों को ये स्कोर प्रोडक्ट पैकेजिंग पर भी क्लियर लिखना होगा. QR कोड के जरिए, रिटेल स्टोर्स में और ई-कॉमर्स लिस्टिंग पर भी उन्हें दिखाना होगा. इस तरह, उपभोक्ता खरीदने का फैसला लेने से पहले देख सकेंगे कि कोई डिवाइस आसानी से ठीक हो सकता है या नहीं.