
Business success story: आईटी की नौकरी छोड़कर पुणे के विक्रम मोटे ने शुरू किया ब्रेड-चपाती का बिजनेस. ‘चपातीघर डॉट कॉम’ से हर महीने कमा रहे हैं 50-60 हजार रुपये. उन्होंने रोटियों की क्वालिटी और समय पर डिलीवरी से…और पढ़ें

पुणे के रहने वाले विक्रम मोटे उन युवाओं में से हैं, जिन्होंने नौकरी की सुरक्षा छोड़कर कुछ नया करने की हिम्मत दिखाई. आज जब ज़्यादातर युवा कॉर्पोरेट या आईटी क्षेत्र में अच्छी तनख्वाह की तलाश में लगे हैं, वहीं विक्रम ने एक अलग राह चुनी. उन्होंने अपनी आईटी की आरामदायक नौकरी छोड़कर ब्रेड और चपाती बनाने का काम शुरू किया और अब हर महीने 50 से 60 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं.
चपातीघर डॉट कॉम से मिली नई पहचान
विक्रम ने पुणे के तलजाई टेकड़ी इलाके में अपने ब्रेड और चपाती के स्टार्टअप का नाम चपातीघर डॉट कॉम रखा. उन्होंने इस काम की शुरुआत कोरोना महामारी के बाद की. शुरुआत में सिर्फ 250 चपातियों से उनका यह सफर शुरू हुआ था, लेकिन आज यह आंकड़ा बढ़कर 2,500 से 3,000 रोटियों और ब्रेड तक पहुंच चुका है. उनकी चपातियों की मांग पुणे के होटल, रेस्टोरेंट, कैंटीन और मेस तक है.
हर स्वाद के लिए है खास रोटी
विक्रम का बिजनेस सिर्फ गेहूं की चपातियों तक सीमित नहीं है. यहां चावल, ज्वार और बाजरे की रोटियां भी बनाई जाती हैं, ताकि हर ग्राहक को उसकी पसंद की रोटी मिल सके. यह न सिर्फ स्वाद में खास है, बल्कि सेहत के लिहाज़ से भी फायदेमंद है.
15 से 20 महिलाओं को मिला रोजगार
विक्रम की सोच सिर्फ खुद के लिए नहीं थी. उन्होंने अपने इस छोटे से कारोबार में 15 से 20 महिलाओं को भी काम पर रखा है, जिससे उन्हें भी आर्थिक मदद और आत्मनिर्भरता मिली है. इस तरह उन्होंने खुद की सफलता के साथ-साथ समाज को भी फायदा पहुंचाया है.
गुणवत्ता और भरोसा है सफलता की कुंजी
विक्रम का मानना है कि उनके इस काम की सबसे बड़ी ताकत गुणवत्ता और समय पर डिलीवरी है. ग्राहकों को लगातार अच्छी और साफ-सुथरी रोटियां मिलती हैं, जिससे उन्होंने एक मजबूत ग्राहक वर्ग बना लिया है. उनके दोस्त सुधीर उदार भी इस सफर में उनके साथ हैं और दोनों मिलकर इस बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं.