
Gorakhpur Junction: गोरखपुर जंक्शन पर 3 मई तक नॉन-इंटरलॉकिंग कार्य पूरा होगा, जिससे ट्रेनें माउस क्लिक पर चलेंगी. 4 मई से गोरखधाम सुपरफास्ट एक्सप्रेस फिर से चलेगी. नई तकनीक से सिग्नल फेल की समस्या खत्म होगी.

गोरखपुर रेलवे स्टेशन
- गोरखपुर जंक्शन पर एनआई सिस्टम से ट्रेनें माउस क्लिक पर चलेंगी.
- 4 मई से गोरखधाम सुपरफास्ट एक्सप्रेस फिर से चलेगी.
- नई तकनीक से सिग्नल फेल की समस्या खत्म होगी.
गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे (NER) के गोरखपुर जंक्शन पर रेल संचालन को स्मार्ट और आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. यहां नॉन-इंटरलॉकिंग (NI) कार्य 3 मई तक पूरा हो जाएगा. इसके बाद ट्रेनें अब माउस की एक क्लिक पर चलेंगी. इस तकनीकी बदलाव से सिग्नल फेल और पॉइंट फेल जैसी समस्याएं हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगी. रेल संरक्षा आयुक्त 3 मई को इस नई व्यवस्था की जांच करेंगे. निरीक्षण के बाद 4 मई से गोरखधाम सुपरफास्ट एक्सप्रेस जैसी प्रमुख ट्रेनें फिर से पटरी पर लौटेंगी. इससे यात्रियों की परेशानी दूर होगी और स्टेशन फिर से रौनक से भर जाएगा.
छावनी स्टेशन बनेगा सैटेलाइट स्टेशन
गोरखपुर यार्ड को तीसरी लाइन से जोड़ने के बाद छावनी रेलवे स्टेशन को सैटेलाइट स्टेशन के रूप में विकसित किया जाएगा. इससे ट्रेनों के दबाव को बांटने में मदद मिलेगी और गोरखपुर जंक्शन की भीड़ भी कम होगी. अब गोरखपुर जंक्शन पर इलेक्ट्रॉनिक रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम लागू हो चुका है. पुराने भारी-भरकम पैनल बॉक्स की जगह अब कंप्यूटर से सिग्नलिंग और ट्रैक चेंजिंग की व्यवस्था होगी. इसके लिए स्टेशन के उत्तरी गेट पर नया कंट्रोल भवन तैयार किया गया है, जहां बैटरी सिस्टम और सिग्नल उपकरण लगाए गए हैं.
105 स्टेशनों पर पहले ही लागू है ये तकनीक
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के 105 स्टेशनों पर पहले ही यह तकनीक सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है. इनमें लखनऊ सिटी, काठगोदाम, लालकुआं, डोमिनगढ़, सीवान और छपरा जैसे स्टेशन शामिल हैं. अब गोरखपुर जंक्शन पर भी यह व्यवस्था यात्रियों के सफर को और सुरक्षित और सुविधाजनक बनाएगी.
ये मिलेंगे फायदे
नई व्यवस्था से यात्रियों को कई महत्वपूर्ण फायदे मिलने वाले हैं. अब सिग्नल और पॉइंट फेल जैसी समस्याएं खत्म हो जाएंगी, जिससे रेल संचालन और अधिक स्मार्ट, तेज़ और सुरक्षित हो जाएगा. एक साथ अधिक ट्रेनों को चलाना संभव हो सकेगा और स्टेशन पर यार्ड रिमॉडलिंग के दौरान भी ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित नहीं होगी. इससे यात्रियों को यात्रा में किसी तरह की असुविधा नहीं होगी और ट्रेनों का संचालन पहले से ज्यादा अच्छे तरीके से किया जा सकेगा.