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पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर जम्मू-कश्मीर में लगातार बयानबाजी जारी है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इस आतंकी हमले में लोकल सपोर्ट होने की बात कही।
उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि ये चीजें हो सकती है, जब तक कोई इनका साथ न दें। वो वहां से आए, किस तरह आए?’ अब्दुल्ला के बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कड़ी आपत्ति जताई है।
महबूबा ने X पर लिखा- फारूक अब्दुल्ला जैसे वरिष्ठ कश्मीरी नेता का ऐसा बयान देश के बाकी हिस्सों में रह रहे कश्मीरी छात्रों, व्यापारियों और मजदूरों के लिए खतरा बन सकता है।
उन्होंने कहा- इससे कुछ मीडिया चैनलों को कश्मीरियों और मुस्लिमों को बदनाम करने का मौका मिल जाएगा। दरअसल, पहलगाम की बायसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था। इसमें 26 पर्यटकों की जान चली गई थी।

पहलगाम हमला मानवता की हत्या
फारूक अब्दुल्ला शनिवार को पहलगाम हमले के मारे गए सैयद आदिल हुसैन शाह के घर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा- जिन्होंने पहलगाम हमला किया है, उन्होंने मानवता की हत्या की है। उनके लिए नरक के दरवाजे खुले हैं।

फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को पहलगाम में पर्यटकों से मुलाकात की।
फारूक बोले- मैंने कहा था, मौलाना अजहर को मत छोड़िए
फारूक अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले को सुरक्षा में चूक बताया। उन्होंने कहा, ‘जब भारत ने मौलाना मसूद अजहर को छोड़ा (1999) था, तब मैंने कहा था, मत छोड़िए, लेकिन किसी ने मेरी बात मानी नहीं। अजहर कश्मीर को जानता है। उसने अपने रास्ते बना रखे हैं और क्या पता पहलगाम हमले में उसका हाथ भी होगा।
फारूक ने कहा- सिंधु जल संधि की समीक्षा हो
फारूक अब्दुल्ला ने सिंधु जल संधि की समीक्षा की मांग भी की। उन्होंने कहा कि पानी हमारा है, तो इस्तेमाल का हक भी हमारा होना चाहिए। जम्मू में पानी की कमी पर चिनाब से जल लाने की योजना बनाई थी, लेकिन वर्ल्ड बैंक ने सहयोग नहीं किया। अब दोबारा काम शुरू होना चाहिए।
28 अप्रैलः पहलगाम अटैक पर CM उमर अब्दुल्ला का भावुक संबोधन

जम्मू-कश्मीर में 28 अप्रैल को पहलगाम हमले को लेकर एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पहलगाम अटैक में मारे गए पर्यटकों को श्रद्धांजलि दी गई। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा- मेजबान होने के नाते मैं सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था। इन लोगों के परिजन से मैं कैसे माफी मांगू। मेरे पास कोई शब्द नहीं है।
उमर ने कहा- जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा लोगों की चुनी हुई हुकूमत की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन CM और टूरिज्म मिनिस्टर होने के नाते मैंने इन्हें बुलाया था। मेजबान होने के नाते मेरी जिम्मेदारी थी कि इन्हें सुरक्षित भेंजू, नहीं भेज पाया।
उमर ने कहा- उन बच्चों से क्या कहता, जिन्होंने अपने वालिद को खून में लिपटा हुआ देखा। उस नेवी अफसर की विधवा को क्या कहूं, जिन्हें शादी किए हुए ही चंद दिन हुए थे। कुछ लोगों ने पूछा कि क्या कसूर था हमारा। हम पहली बार कश्मीर आए थे छुट्टी मनाने के लिए। इस छुट्टी का जिंदगी भर खामियाजा भुगतना पड़ेगा। पूरी खबर पढ़ें…

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दिखने में आम कश्मीरी, लेकिन आतंकियों के मददगार ओवरग्राउंड वर्कर:महिलाएं-बच्चे भी शामिल

‘वे दुकानदार हो सकते हैं, खच्चर चराने वाले हो सकते हैं, पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर हो सकते हैं, पुलिसवाले भी हो सकते हैं। आपको पता भी नहीं चलेगा कि आम कश्मीरियों की तरह दिखने वाला कोई शख्स आतंकियों का मददगार हो सकता है। अगर भगवान ओवर ग्राउंड वर्कर्स को सींग दे देते, तो यहां बहुत लोगों के सींग दिखते।’
39 साल सेना में रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी लंबे अरसे तक साउथ कश्मीर में पोस्टेड रहे हैं। वे जिन ओवर ग्राउंड वर्कर्स के बारे में बता रहे हैं, वे जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की आंख और कान हैं। पूरी खबर पढ़ें…