
Success Story: राजकोट की कोमलबा जडेजा ने NEET परीक्षा पास करने के बावजूद डॉक्टर बनने के बजाय पायलट बनने का सपना पूरा किया. बचपन से ही आसमान छूने का जुनून था, जिसे उन्होंने आत्मविश्वास और मेहनत से साकार किया.
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राजकोट की रहने वाली कोमलबा जडेजा बचपन से ही कुछ अलग करना चाहती थीं. जब वो दूसरी कक्षा में थीं, तभी उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें पायलट बनना है. हालांकि, जिंदगी उन्हें पहले मेडिकल की ओर लेकर गई. उन्होंने NEET की कठिन परीक्षा पास कर ली और सबको लगा कि वो डॉक्टर बनेंगी. लेकिन उनके दिल में तो आसमान छूने की चाह थी.
माता-पिता को भी किया हैरान
कोमलबा के मां-बाप, हंसाबा जडेजा और रघुराजसिंह जडेजा ने हमेशा अपने बच्चों का साथ दिया. लेकिन जब कोमलबा ने मेडिकल छोड़कर विमान उड़ाने की बात कही, तो वो थोड़े चौंक गए. फिर भी उन्होंने अपनी बेटी पर भरोसा किया और उसका हौसला बढ़ाया. कोमलबा का कहना है कि उनके माता-पिता ने हमेशा उन्हें उड़ने की आज़ादी दी.
मजबूत इरादों से बदली किस्मत
दिखने में शांत और नाजुक सी लगने वाली कोमलबा के इरादे बहुत पक्के थे. पायलट बनने के रास्ते में कई मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने हर चुनौती को पार किया. उनका मानना है कि उड़ान के लिए आधा प्रशिक्षण और आधा आत्मविश्वास जरूरी होता है. अपनी पहली अकेली उड़ान को वो कभी नहीं भूल सकतीं.
जब 5,000 फीट ऊपर से किया वीडियो कॉल
कोमलबा की जिंदगी का सबसे भावुक पल तब आया जब उन्होंने 5,000 फीट की ऊंचाई से अपने माता-पिता को वीडियो कॉल किया. उस समय उनके माता-पिता की आंखें नम हो गईं. एक वक्त था जब वो अपनी बेटी को डॉक्टर बनते देखना चाहते थे, लेकिन आज वे उसकी पायलट यूनिफॉर्म देखकर गर्व से भर उठे.
कोमलबा के लिए मंज़िल नहीं, यात्रा है मायने रखती
आज कोमलबा जडेजा एक सफल पायलट बन चुकी हैं. उनके लिए पायलट बनना सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक जुनून है. उनका मानना है कि मंजिल से ज्यादा रास्ता अहम होता है. आज की हर लड़की कोमलबा की तरह अपने सपनों को हकीकत में बदल सकती है – बस जरूरत है मजबूत इरादों और परिवार के साथ की.