
‘सिटी ऑफ ताज’ की दो पहचान – ताजमहल और पेठा
आगरा पूरी दुनिया में ताजमहल के लिए प्रसिद्ध है. सफेद संगमरमर से बनी यह खूबसूरत इमारत न केवल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि प्रेम की एक अमर निशानी भी है. ताजमहल को देखने के लिए हर साल लाखों सैलानी देश-विदेश से यहां आते हैं, लेकिन ताजमहल के अलावा आगरा एक और चीज के लिए भी विश्वविख्यात है – आगरे का पेठा. जैसे ही किसी के सामने ‘आगरा’ नाम आता है, लोगों के मन में ताजमहल के साथ-साथ पेठे का भी ख्याल आता है. दोनों का संबंध भी काफी पुराना और गहरा है.
ताजमहल निर्माण के साथ जुड़ा है पेठे का इतिहास
वरिष्ठ इतिहास का राज किशोर राजे बताते हैं कि पेठा के विकास का श्रेय मुगल बादशाह अकबर, शाहजहां और औरंगजेब को जाता है. आगरा में शाहजहां के शासनकाल के दौरान इस मिठाई की खूब चर्चा थी. माना जाता है कि जब ताज महल का निर्माण कराया जा रहा था तब बादशाह ने अपने रसोइयों को एक ऐसी मिठाई बनाने को कहा जो ताजमहल की ही तरह शुद्ध, साफ और सफेद हो. बादशाद के इस आदेश को पूरा करते हुए शाही रसोइये पेठे यानी सफेद कद्दू की मदद से एक मिठाई तैयार की.
गर्मी से बचने के लिए मजदूर करते थे पेठा का इस्तेमाल
वरिष्ठ इतिहासकार राज किशोर राज बताते हैं कि ताजमहल को बनने में लगभग 22 साल लगे. शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल का निर्माण 1632 से करवाना शुरू किया था. इस दौरान आगरा शहर में अत्यधिक गर्मी पड़ती थी. गर्मी से मजदूर परेशान और कमजोर हो जाते थे. ताज महल बनाने वाले मरीजों को एनर्जी बूस्टर के तौर पर शाहजहां ने पेठा देने का फ़रमान दिया था. पेठे की तासीर ठंडी होती है, जो मजदूर काम करते थक जाते थे उन्हें पेठा एनर्जी देता था. पेठे में भरपूर मात्रा में ग्लूकोज होता है, जिससे शरीर में एनर्जी बनी रहती थी.
56 से भी ज्यादा वैरायटी में मिलता है आगरे का पेठा
समय के साथ पेठे का स्वाद और रूप दोनों में बदलाव आया. आज आगरा के नूरी दरवाजे क्षेत्र में पेठे का बड़ा कारोबार होता है. पेठा कारोबारी राजेश अग्रवाल के अनुसार अब बाजार में केसर बहार, अंगूर, इलायची, पान, चॉकलेटी, सैंडविच आदि 56 से ज्यादा प्रकार के पेठे उपलब्ध हैं. आगरे का पेठा आज देश-विदेश में अपनी मिठास का परचम लहरा रहा है.
कैसे बनता है आगरे का पेठा? जानिए विधि
पेठा बनाने के लिए सबसे पहले सफेद कद्दू को छीलकर उसके अंदर के गूदे को निकाला जाता है. इसके टुकड़ों को पानी में उबालकर मुलायम किया जाता है. फिर इन्हें चाशनी में डालकर मीठा स्वाद दिया जाता है. बाद में उसमें अलग-अलग फ्लेवर मिलाकर विभिन्न प्रकार के पेठे तैयार किए जाते हैं.