
भारत के प्रधानमंत्री के साथ काम करना हर किसी का सपना होता है. लेकिन इस पद के सबसे करीबी और जरूरी पदों में निजी सचिव (Private Secretary) की भूमिका बेहद जिम्मेदारी भरी और खास होती है. पिछले दिनों निधि तिवारी की पीएम का निजी सचिव बनाया गया था. आइए आज जानते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री के निजी सचिव कैसे चुने जाते हैं और इसके लिए आपको क्या करने की जरूरत होती है.
निजी सचिव का काम केवल शेड्यूल मैनेज करना या फाइलें आगे बढ़ाना नहीं होता. यह व्यक्ति प्रधानमंत्री के कार्यभार को व्यवस्थित रखने, महत्वपूर्ण बैठकों की तैयारी करने, गोपनीय सूचनाओं को संभालने और नीतिगत चर्चाओं का हिस्सा बनने तक की जिम्मेदारी निभाता है.
कैसे होता है चयन?
रिपोर्ट्स के अनुसार प्रधानमंत्री के निजी सचिव की नियुक्ति सामान्य रूप से IFS (भारतीय विदेश सेवा) IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) के अधिकारियों में से की जाती है. आमतौर पर ऐसे अधिकारी चुने जाते हैं जिनका प्रशासनिक अनुभव 10 साल या उससे अधिक हो. हाल ही में आईएफएस अधिकारी निधि तिवारी को पीएम का निजी सचिव नियुक्त किया गया था. इससे पहले निधि प्रधानमंत्री कार्यालय में बतौर डिप्टी सेक्रेटरी सेवाएं दे रही थीं.
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UPSC के लिए क्या पढ़ना होता है?
इस पद तक पहुंचने के लिए कैंडिडेट्स को UPSC सिविल सेवा परीक्षा देनी होती है, जिसमें प्रारंभिक परीक्षा (Prelims), मुख्य परीक्षा (Mains) और साक्षात्कार (Interview) शामिल होता है. इसके लिए उम्मीदवार को सामान्य अध्ययन, करंट अफेयर्स, इतिहास, भूगोल, संविधान, अर्थव्यवस्था, विज्ञान आदि की गहन तैयारी करनी पड़ती है. यूपीएससी एग्जाम में शामिल होने के लिए कैंडिडेट्स का ग्रेजुएट होना जरूरी है.
निधि तिवारी 2014 बैच की आईएफएस अफसर हैं. उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा 2013 में 96 वीं रैक हासिल की थी. साल 2013 की सिविल सेवा परीक्षा पास करने से पहले उन्होंने वाराणसी में सहायक आयुक्त (वाणिज्य कर) के तौर पर भी काम किया था.
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कितनी मिलती है सैलरी
प्रधानमंत्री के निजी सचिव के पद पर कार्यरत अधिकारियों को केंद्र सरकार के पे मैट्रिक्स लेवल-14 के अनुसार वेतन मिलता है. इस श्रेणी में मासिक सैलरी लगभग 1,44,200 रुपये होती है. इसके अलावा उन्हें कई तरह के भत्ते भी दिए जाते हैं, जिनमें महंगाई भत्ता (DA), आवास भत्ता (HRA), यात्रा भत्ता (TA) और अन्य सरकारी सुविधाएं शामिल हैं.
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