
दरअसल, पिछले सप्ताह पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस क्लोज कर दिया है. इसके कारण भारतीय एयरलाइन्स कंपनियां ईंधन खर्च में वृद्धि और उड़ान अवधि में बढ़ोतरी के लिए तैयारी कर रही हैं.
सरकार से क्या मांग
खबर है कि एयर इंडिया ने रविवार को भारत सरकार से मांग करते हुए सब्सिडी मॉडल के लिए एक प्रस्ताव सौंपा, जिसमें पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से आर्थिक प्रभाव और नुकसान के बारे में जानकारी दी गई. यह लॉस अनुमानित रूप से 591 मिलियन डॉलर (50 अरब रुपये) का हो सकता है.
सिविल एविशन मिनिस्ट्री को दिए गए इस लेटर में कहा गया है कि एयरलाइन कंपनी की लागत – जो अगले वर्ष तक बढ़ सकती है, यह मानते हुए कि पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र उसके लिए बंद रहेगा. ऐसे में फ्लाइट्स के रूट में बदलाव और विमानों द्वारा अधिक समय तक उड़ान भरने के कारण ईंधन की लागत बढ़ेगी.
भरपाई के लिए मांगी अनुपातिक सब्सिडी
एयरलाइन ने चेतावनी दी है कि उड़ानों का समय बढ़ने से यात्रियों पर भी असर पड़ेगा. नतीजतन, एयर इंडिया को प्रतिबंध के दौरान हर साल 591 मिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान होने की आशंका है. रॉयटर्स की रिपोर्ट में विमानन मंत्रालय को लिखे पत्र का हवाला देते हुए कहा कि इसलिए एयर इंडिया ने सरकार से इस नुकसान के लिए आनुपातिक सब्सिडी की मांग की है, और हालात में सुधार होने पर सब्सिडी हटाई जा सकती है. हालांकि, इस बारे में अभी तक न तो एयर इंडिया और न ही विमानन मंत्रालय ने कोई टिप्पणी की है.
एयर इंडिया के अलावा, इंडिगो एयरलाइन ने कहा है कि उसकी कुछ उड़ानें भी पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से प्रभावित हुई हैं. इसे नई दिल्ली-बाकू (अज़रबैजान में) की उड़ान में पांच घंटे और 43 मिनट का समय लगा, जो सामान्य से 38 मिनट अधिक था. हालांकि, इसका सबसे ज्यादा असर एयर इंडिया पर पड़ने की संभावना है क्योंकि यह एयरलाइन कंपनी ज़्यादा संख्या में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें संचालित करती है और आमतौर पर पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से होकर गुज़रती हैं.
क्या चीन के रास्ते जाएंगी फ्लाइट्स
इस मामले से परिचित 3 अन्य लोगों ने बताया कि भारत सरकार पाकिस्तानी एयर स्पेस बंद होने के बाद एयरलाइन इंडस्ट्री को होने वाले नुकसान को कम करने के अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है. एक सूत्र ने बताया कि भारतीय विमानन कम्पनियों ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के साथ संभावित रूट पर काम किया है. इसमें चीन के निकट हवाई क्षेत्र से उड़ान भरने का विकल्प शामिल है.
अपने लेटर में एयर इंडिया ने केंद्र सरकार से चीन के हवाई क्षेत्र से कुछ उड़ानों की मंजूरी के लिए चीनी अधिकारियों के साथ संपर्क करने को कहा, लेकिन इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी.