
केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला लिया है। इसको लेकर श्रेय लेने की होड़ मच गई है। केंद्र के फैसले पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आज समाज कल्याण की नीतियां बनाने के लिए सटीक आंकड़े जरूरी हो गए हैं। जाति जनगणना जन कल्याण का आधार और सामाजिक न्याय की नींव बनेगी। उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी सिर्फ श्रेय लेने के लिए हंगामा कर रहे हैं। जब उनकी (कांग्रेस) सरकार थी, तब उन्होंने जाति जनगणना क्यों नहीं कराई?…वे तो जाति आधारित आरक्षण के भी खिलाफ थे।
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भाजपा नेता ने आगे कहा कि कांग्रेस कभी जन कल्याण के लिए काम नहीं करती, बल्कि सिर्फ वोट बटोरने के लिए काम करती है। झूठ और फरेब फैलाना उनके डीएनए में है। वहीं, इससे पहले शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राहुल जी, कांग्रेस ने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया। देश में वर्षों तक कांग्रेस की सरकार रही, फिर जातिगत जनगणना क्यों नहीं हुई? नेहरू जी ने पत्र लिखकर जाति आधारित आरक्षण और जनगणना का विरोध किया था। आप जवाब दें कि,- काका कालेलकर की रिपोर्ट किसने दबाई? – मंडल कमीशन पर कांग्रेस का रुख क्या था?
उन्होंने कहा कि राहुल जी, आप श्रेय के लिए उछल-कूद कर रहे हैं, किंतु पहले जवाब दें कि कांग्रेस ने जातिगत जनगणना क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विजन समाज का विभाजन रहा है। जबकि भारतीय जनता पार्टी ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के मूलमंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। राहुल जी, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि 1980 के दशक में जब मंडल कमीशन आया, तब इंदिरा जी ने ही विरोध किया था। स्व. राजीव जी का जातिगत जनगणना को लेकर क्या रुख था? दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने पार्लियामेंट में आश्वस्त किया था कि वो जातिगत जनगणना पर कैबिनेट में विचार करेंगे। मंत्रिमंडल का एक समूह ‘ग्रुप ऑफ मिनिस्टर’ बना, तब भी जातिगत जनगणना नहीं हुई।
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केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगली जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के सरकार के फैसले ने ‘‘असली इरादों और खोखली नारेबाजी’’ के बीच के अंतर को उजागर किया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधान ने इस कदम को ‘‘पासा पलटने वाला फैसला’’ बताया जिसका कई विपक्षी दलों ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा, ‘‘इस महत्वपूर्ण फैसले ने हमारे असली इरादों और विपक्ष की खोखली नारेबाजी के बीच के अंतर को उजार किया है। हालांकि अधिकतर विपक्षी दलों ने इसका स्वागत किया है।’’