
मुजफ्फरपुर की शफा इकबाल ने लाह की लहठी बनाने का कारोबार शुरू कर गांव की महिलाओं को रोजगार दिया है. वह IT सेक्टर में नौकरी करती थीं, कोरोना में नौकरी छोड़कर उन्होंने लाह कलस्टर की शुरुआत की और महिलाओं को आत्मनिर…और पढ़ें

शफ़ा इकबाल
- शफा इकबाल ने लहठी का कारोबार शुरू किया.
- गांव की महिलाओं को रोजगार और मुफ्त ट्रेनिंग दी.
- लहठी की विदेशों में भी काफी डिमांड है.
मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर में सकरा केशोपुर की रहने वाली शफा इकबाल नाम की एक महिला ने लाह की लहठी बनाने का कारोबार शुरू किया है. इसमें लाह की चूड़ियां और कंगन बनाने का काम होता है. इस फैक्ट्री में लाखों की संख्या में लाह की लहठी तैयार होती है. यहां की लहठी की विदेशों में भी काफी डिमांड है. यहां बनी लहठी मुजफ्फरपुर के अलावा दूसरे जिलों, राज्यों और विदेशों तक भी जाती है.
बड़ी बात यह है कि शफा ने इस कारोबार के जरिए गांव की कई गरीब और बेसहारा महिलाओं को रोजगार दिलाया है और उनकी जिंदगी बदल दी है. जो लोग खेत में काम करते थे, या घर में जो महिलाएं बेरोजगार बैठी थी उन्हें रोजगार दे रही हैं. सफा अपने गांव के आस पास के 5 किलोमीटर की रेडियस की महिलाओं को मुफ्त ट्रेनिंग देती हैं. ट्रेनिंग के समय भी महिलाओं को कुछ पैसे दिए जाते हैं ताकि किसी का मनोबल कम न हो, काम सीखने के बाद महिलाओं को महीने पर या रोज पर रख लेती हैं.
कोरोना में छोड़ी थी नौकरी
लगन के समय में जब ज्यादा डिमांड होती है तो शफा महिलाओं को वर्क फॉर्म होम भी काम देती हैं, चुकी कई महिलाएं गांव में आज भी शादी के बाद घर से बाहर नहीं निकलती तो उन लोगों के लिए यह अवसर दिया जाता है. शफा पहले एक आईटी कंपनी में काम करती थीं, जहां उन्हें अच्छी तनख्वाह मिलती थी. कोरोना के समय उन्हें घर वापस लौटना पड़ा, फिर शफा को अपना काम करने की इच्छा थी.
महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भर
उन्होंने लाह कलस्टर की शुरुआत की और गांव की महिलाओं को रोजगार देने का फैसला किया. उन्होंने गांव की अनपढ़, बेसहाय और गरीब महिलाओं को बुलाया और उनसे पूछा- एक कंपनी खुल रही है, क्या आप लोग लोग काम करोगी? लाह की लहठी की मशहूर लाह कलस्टर की संचालिका शफा ने बताया कि महिलाएं काम करने के लिए तैयार थीं, लेकिन उन्हें कुछ नहीं आता था, ऐसे में उनकी ट्रेनिंग करवाई. आज यहां काम करने वाली महिलाएं 5 से 10 हजार रुपये महीना कमा रही हैं.