नई दिल्ली. वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि 1 मई से ‘वन स्टेट-वन आरआरबी’ (One State, One RRB) योजना लागू होने के साथ ही 700 जिलों में 22,000 से ज्यादा ब्रांच वाले 28 रीजनल रूरल बैंक (RRB) देशभर में काम करेंगे. इसी के साथ 43 आरआरबी की संख्या को घटकर 28 हो गई. इसी कड़ी में बिहार के 2 ग्रामीण बैंकों उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का विलय 1 मई से प्रभावी हो गया और बिहार ग्रामीण बैंक अस्तित्व में आ गया. यह नया बैंक पूरे बिहार में 2105 ब्रांच के साथ सबसे बड़ा ग्रामीण बैंक होगा. इसका मुख्यालय पटना में रहेगा.
बिहार सहित 11 राज्यों में 15 ग्रामीण बैंकों के मर्जर की नोटिफिकेशन जारी हो गई है. ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक’ पॉलिसी के तहत, 11 राज्यों- आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान में मौजूद कई ग्रामीण बैंकों को मिलाकर एक-एक बैंक बनाया जाएगा. इसका मकसद ग्रामीण बैंकों को मजबूत बनाना और उनकी सर्विसेज को बेहतर और आसान बनाना है.
मर्जर के बाद ग्राहकों पर क्या होगा असर अगर आपका भी खाता आरआरबी में है तो मर्जर से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि आपका बैंक बैलेंस, एफडी, आरडी या लोन सब सुरक्षित रहेंगे. हालांकि ग्राहकों को कुछ समय बाद नए खाता नंबर, चेकबुक और पासबुक दिए जाएंगे.
क्या होते हैं रीजनल रूरल बैंक बता दें कि रीजनल रूरल बैंक एक तरह के कॉमर्शियल बैंक होते हैं. केंद्र सरकार अलग-अलग राज्यों में रीजनल लेवल पर इसको ऑपरेट करती है. इनके गठन का मकसद रूरल एरिया में छोटे किसानों, मजदूरों और कारीगरों को लोन और दूसरी सुविधाएं देना है. रीजनल रूरल बैंकों का गठन आरआरबी एक्ट, 1976 के तहत किया गया था. 2015 में इस कानून में बदलाव किया गया, जिसके बाद ये बैंक केंद्र, राज्य और स्पॉन्सर बैंकों के अलावा दूसरे सोर्स से भी पूंजी जुटा सकते हैं. अभी केंद्र की हिस्सेदारी 50 फीसदी, स्पॉन्सर बैंकों की 35 फीसदी और राज्य सरकारों की 15 फीसदी है.