

ज्ञानेश कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने वोटर इन्फार्मेशन स्लिप (मतदाता सूचना पर्ची) को और अधिक सटीक और भरोसेमंद बनाने के साथ ही वोटिंग प्रक्रिया को आसान बनाने के उद्देश्य से नई पहल शुरू की है। इसमें मुख्य तौर पर तीन प्वाइंट पर जोर दिया गया है। पहला है मृत्यु पंजीकरण के आंकड़े हासिल करना, दूसरा-बीएलओ को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टैडर्ड पहचान पत्र जारी करना और तीसरा है वोटर लिस्ट को अधिक सटीक और वोटर के लिए सुविधाजनक बनाना।
मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के सम्मेलन में मिले थे सुझाव
यह बदलाव देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी की मौजूदगी में इस वर्ष मार्च में हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के सम्मेलन में सुझाए गए सुधारों पर आधारित है।
मृत्यु पंजीकरण के डेटा को चुनावी डेटाबेस से जोड़ा जाएगा
पहले बदलाव के तहत अब मृत्यु पंजीकरण के डेटा को चुनावी डेटाबेस से इलेक्ट्रानिक रूप से जोड़ा जाएगा। इससे रजिस्ट्रर जनरल ऑफ इंडिया से मृत्यु पंजीकरण की जानकारी मतदाता पंजीकरण अधिकारी (ERO) को सीधे मिल जाया करेगी। यह प्रक्रिया “निर्वाचकों के पंजीकरण नियम, 1960” के नियम 9 और “जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969” की धारा 3(5)(b) (2023 में संशोधित) के अनुसार की जाएगी। इससे बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) भी फॉर्म 7 के तहत औपचारिक अनुरोध का इंतजार किए बिना फील्ड विजिट के जरिए जानकारी को फिर से वेरिफाई कर सकेंगे।
मतदाता सूचना पर्ची को और स्पष्ट बनाया जाएगा
दूसरे बदलाव के तहत मतदाता सूचना पर्ची (Voter Information Slip) और अधिक सटीक, उपयोगी और स्पष्ट बनाया जाएगा। इसके लिए चुनाव आयोग ने मतदाता सूचना पर्ची के डिजाइन को बदलने का फैसला लिया है। मतदाता सूचना पर्ची पर अब मतदाता का सीरियल नंबर और भाग संख्या (Part Number) प्रमुखता से बड़े अक्षरों में प्रदर्शित किए जाएंगे। फ़ॉन्ट का आकार बढ़ाया जाएगा जिससे मतदाताओं के लिए अपने मतदान केंद्र की पहचान करना आसान हो जाएगा और अधिकारियों के लिए भी लिस्ट में नाम खोजना आसान हो जाएगा।
बीएलओ को मिलेगा पहचान पत्र
तीसरा बदलाव के तहत आयोग ने निर्देश दिया है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 13बी(2) के तहत ईआरओ द्वारा नियुक्त सभी बीएलओ को एक मानक फोटो पहचान पत्र दिया जाएगा। इससे बीएलओ को घर-घर जाकर मतदाताओं से मिलने में आसानी होगी। मतदाता सत्यापन और पंजीकरण अभियान के दौरान लोग बीएलओ को पहचान सकें और उनसे भरोसे के साथ बातचीत कर सकें।