
‘रेड 2’ देखते हुए ‘रेड’ की यादें जरूर ताजा होंगी, लेकिन ‘रेड 2’ में वो दम नहीं दिखेगा जो ‘रेड’ में देखने को मिला था, इसके पीछे की वजह यह भी हो सकती है कि ‘रेड’ सच्ची घटनाओं पर आधारित थी और ‘रेड’ एक काल्पनिक कहानी है. मेकर्स यहां असफल रहे, उन्हें लगा था कि ‘रेड’ के नाम पर वे ‘रेड 2’ से भी दर्शकों का दिल जीत लेंगे, लेकिन यह अपने पहले पार्ट से कमजोर नजर आ रही है.
फिल्म की कहानी कमजोर है, जहां आपको पहले से ही सब कुछ पता है और आपको ज्यादा सोचने की जरूरत भी नहीं है. फिल्म में शायद ही कोई ऐसा सीन हो जो आपको चौंकाए. फिल्म में अजय देवगन अपने पुराने किरदार में ही नजर आ रहे हैं, जो कि आईआरएस के डिप्टी कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स अमय पटनायक हैं, जबकि रितेश देशमुख दादा मनोहर भाई, वाणी कपूर मालिनी पटनायक, रजत कपूर कौल (चीफ़ इनकम टैक्स कमिश्नर), सौरभ शुक्ला रामेश्वर सिंह/रामजी/ताऊजी, सुप्रिया पाठक अम्मा (दादा मनोहर भाई की माँ) और अमित सियाल लल्लन सुधीर (अमय के सहयोगी) के किरदार में नजर आ रहे हैं.
फिल्म में अमय दादा भाई के घर पर छापा मारने जाता है, और जो चाहता है वो हासिल कर लेता है. चूंकि दादा भाई एक शक्तिशाली मंत्री हैं, इसलिए विभाग अमय को निलंबित कर देता है. इसके बाद अमय का खेल शुरू होता है. वह अपने दिमाग का इस्तेमाल करता है और निलंबित होने के दौरान दादा भाई का जीना मुश्किल कर देता है. क्या अमय दादा भाई की योजनाओं पर पानी फेर पाता है? क्या अमय को उसकी नौकरी वापस मिल पाती है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब के लिए आपको खुद सिनेमाघर जाकर पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी.
अगर एक्टिंग की बात करें तो रितेश देशमुख ने कमाल का नेगेटिव रोल निभाया है. फिल्म में उनका रोल कहानी की जान है. उन्होंने दादा भाई के किरदार में खुद को इस तरह ढाला है कि आप उनकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाएंगे. बॉबी देओल, संजय दत्त और रणदीप हुड्डा के बाद अब रितेश ने भी साबित कर दिया है कि वो हीरोगिरी ही नहीं बल्कि दादागिरी में भी लोगों का दिल जीत सकते हैं. हालांकि ये पहली बार नहीं है जब रितेश नेगेटिव रोल में नजर आए हों, इससे पहले भी वो कई फिल्मों में अपने विलेन अवतार से दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना चुके हैं.
दूसरी तरफ अजय देवगन इस बार थोड़े सुस्त नजर आए. वो पूरी फिल्म में एक ही तरह के एक्सप्रेशन में नजर आए हैं, वहीं ‘रेड’ में उनके किरदार में जो एनर्जी दिखी थी वो ‘रेड 2’ में मिसिंग है. इस फिल्म में वाणी कपूर को क्यों लिया गया? ये समझ से परे है. फिल्म में उनका स्क्रीन स्पेस भी कम है और संवाद भी कम ही जगहों पर दिए गए हैं. सौरभ शुक्ला द्वारा निभाए गए ताऊजी के किरदार को कोई कैसे भूल सकता है? ओरिजिनल में अपने यादगार अभिनय के बाद ताऊजी ‘रेड 2’ में वापस आ गए हैं, लेकिन इस बार वे दर्शकों की तरह मूक दर्शक बन गए हैं. वे सिर्फ अमय पटनायक की हरकतों को और दादा भाई के साम्राज्य का पतन देखते हैं.
‘रेड’ के बाद ‘रेड 2’ के निर्देशन की जिम्मेदारी भी राज कुमार गुप्ता को दी गई. फिल्म का निर्देशन तो अच्छा है, लेकिन कमजोर कहानी की वजह से ‘रेड 2’ उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती. वैसे, आप इस फिल्म को अपने पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं. मेरी तरफ से फिल्म को 5 में से 2.5 स्टार.