
राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बिल्डरों का एक बड़ा फ्रॉड सामने आया है। बिल्डरों द्वारा किए जा रहे इस फ्रॉड से राज्य सरकार को करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। दरअसल, गाजियाबाद में बिल्डर नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए बिना रजिस्ट्री कराए ही ग्राहकों को फ्लैट हैंडओवर कर रहे हैं। ये फ्रॉड आम लोगों की सोच से भी ज्यादा बड़ा है क्योंकि इसमें 10,000 से भी ज्यादा फ्लैट शामिल हैं। बिना रजिस्ट्री कराए फ्लैट हैंडओवर करने से सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपये का रेवेन्यू लॉस हुआ है। बिल्डरों के इस फ्रॉड को पकड़ने के बाद सख्त कार्रवाई की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
फ्लैट की संख्या की तुलना में कम हुई रजिस्ट्री
मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए प्रशासन बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर कराने की तैयारी कर रहा है। एनबीटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस फ्रॉड में बड़े बिल्डर भी शामिल हैं, जिन्होंने कंप्लीशन सर्टिफिकेट के बिना ही ग्राहकों को फ्लैटों का पजेशन दे दिया। सरकार ने कुछ समय पहले 10,000 और 25,000 रुपये वाले स्टांप पेपर को बंद कर दिया था। जिन लोगों के पास 10,000 और 25,000 रुपये वाले स्टांप पेपर थे, उन्होंने सरकार में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि बिल्डर ने बिना रजिस्ट्री कराए ही फ्लैट का पजेशन दे दिया। शिकायत की जांच की गई तो पता चला कि जिले में फ्लैटों की संख्या की तुलना में रजिस्ट्री कम हुई है।
स्टांप पेपर की रकम वसूलने के बाद भी नहीं कराई रजिस्ट्री
रिपोर्ट के मुताबिक, बिल्डरों ने ग्राहकों से स्टांप पेपर की रकम वसूलने के बाद भी रजिस्ट्री नहीं कराई। यूपी फाइनेंस एंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट अब ऐसे बिल्डरों को नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है। नोटिस मिलने के बाद भी अगर बिल्डरों ने फ्लैटों की रजिस्ट्री नहीं कराई तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन, क्रॉसिंग रिपब्लिक के भी कई प्रोजेक्ट्स में ये फ्रॉड चल रहा है। इसके अलावा, इंदिरापुरम और सिद्धार्थ विहार में भी इस तरह के मामले सामने आए हैं। यहां लोग कई सालों से फ्लैटों में रह रहे हैं, लेकिन अभी तक उनके फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हुई है।