
Canada Election Results: कनाडा चुनाव में 24 भारतीय मूल के उम्मीदवारो ने जीत का परचम लहराया है. इसमें अनीता आनंद, बर्दिश चागर और सुख धालीवाल प्रमुख हैं. खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह हार गया. भारतीयों का कनाडा की …और पढ़ें

हाइलाइट्स
- कनाडा चुनाव में 24 भारतीय मूल के उम्मीदवार जीते.
- खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह को हार का सामना करना पड़ा.
- अनीता आनंद, बर्दिश चागर और सुख धालीवाल प्रमुख विजेता.
Canada Election Results: अमेरिका हो या कनाडा… हर जगह हिंद का सितारा बुलंद रहता है. दुनिया के हर कोने में भारतीयों का डंका बजता है. अब कनाडा को ही देख लीजिए. कनाडा में हिंद का सितारा खूब चमका है. जी हां, कनाडा में आम चुनाव में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के कैंडिडेट्स ने बाजी मारी है. कनाडा चुनाव में रिकॉर्ड 24 भारतीय मूल के कनाडाई उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. वहीं, चार साल पहले हुए चुनाव में 21 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी. भारतीय मूल के प्रमुख विजेताओं में इनोवेशन, साइंस और इंडस्ट्री मिनिस्टर अनीता आनंद शामिल हैं. उन्होंने ओकविले ईस्ट सीट पर शानदार जीत हासिल की. उम्मीद है कि कार्नी की नई कैबिनेट में उन्हें महत्वपूर्ण पद मिलेगा.
हालांकि, कनाडा के संघीय चुनावों में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता और खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह को बर्नाबी सेंट्रल सीट पर करारी हार का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद भारतीय मूल के उम्मीदवारों ने नई संसद में अपनी मजबूत और मुखर उपस्थिति दर्ज कराई. इनमें से ज्यादातर उम्मीदवार पंजाब से ताल्लुक रखते हैं. करीब 65 भारतीय मूल के उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे, जिनमें से रिकॉर्ड 24 ने जीत हासिल की. 2021 के संघीय चुनावों में 21 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.
कौन-कौन जीता?
2015 से सांसद रहीं बर्दिश चागर (लिबरल पार्टी) एक बार फिर जीत हासिल करने में कामयाब रहीं. बर्दिश के माता-पिता पंजाब से ताल्लुक रखते हैं. बर्दिश वाटरलू से संसद सदस्य के रूप में सेवा देने वाली पहली महिला हैं. सुर्रे-न्यूटन से इस बार सुख धालीवाल ने जीत हासिल की है. धालीवाल लिबरल पार्टी से ताल्लुक रखते हैं. उन्होंने रिकॉर्ड छठी बार जीत का परचम लहराया है. पंजाब में जन्में 65 साल के धालीवाल पेशे से इंजीनियर थे और बाद में लैंड सर्वेयर बन गए. इससे पहले वे साल 2006 से 2011 तक न्यूटन-नॉर्थ डेल्टा से सांसद रहे. साल 2011, 2015, 2019 और 2021 में सुर्रे-न्यूटन से दोबारा चुने गए. धालीवाल अपनी बेहतरीन पहुंच के लिए जाने जाते हैं. वे सभी के साथ एक ही फोन नंबर शेयर करते हैं. इस बार धालीवाल को कड़ी टक्कर मिली. कंजर्वेटिव उम्मीदवार और जाने-माने रेडियो प्रसारक हरजीत सिंह गिल ने उन्हें कड़ी टक्कर दी. गिल का ताल्लुक लुधियाना के पास के एक गांव से है.
एक नजर विजयी उम्मीदवारों पर-
- सुखमन सिंह गिल (कंजर्वेटिव, ऐबट्सफ़ोर्ड-साउथ लैंगली): पंजाब के मोगा जिले से संबंध।
- सुख धालीवाल (लिबरल, सरे-न्यूटन): छठी बार जीत, पंजाब से संबंध
- दलविंदर गिल (कंजर्वेटिव, कैलगरी मैकनाइट): पहली बार जीत
- अमनप्रीत सिंह गिल (कंजर्वेटिव, कैलगरी स्काईव्यू): गुरुद्वारा विवाद के बावजूद जीत.
- टिम उप्पल (कंजर्वेटिव, एडमॉन्टन मिल वुड्स): 2008 से सांसद
- रूबी सहोता (लिबरल, ब्रैम्पटन नॉर्थ): कंजर्वेटिव के अमनदीप जज को हराया.
- सुखदीप कांग (कंजर्वेटिव, ब्रैम्पटन साउथ): लिबरल की सोनिया सिद्धू को हराया.
- अमरजीत गिल (कंजर्वेटिव, ब्रैम्पटन वेस्ट): लिबरल की कमल खेरा को हराया.
- जसराज हॉलन (कंजर्वेटिव, कैलगरी ईस्ट)
- अर्पण खन्ना (कंजर्वेटिव, ऑक्सफर्ड)
- परम गिल (कंजर्वेटिव, मिल्टन ईस्ट)
- हर्ब गिल (कंजर्वेटिव, विंडसर वेस्ट)
- जगशरण सिंह महल (कंजर्वेटिव, एडमॉन्टन साउथईस्ट)
- अनीता आनंद (लिबरल, ओकविल): प्रमुख हस्ती, अपनी सीट बरकरार रखी.
- शुव मजूमदार (कंजर्वेटिव, कैलगरी हेरिटेज): पूर्व पीएम स्टीफन हार्पर की सीट जीती.
- मनिंदर सिद्धू (लिबरल, ब्रैम्पटन ईस्ट): संसद में वापसी.
- हरजीत सज्जन (लिबरल, वैंकूवर साउथ): पूर्व रक्षा मंत्री, अपनी सीट बरकरार रखी.
- रणदीप सराय (लिबरल, सरे सेंटर)
- चंद्र आर्य (लिबरल, निपींग): संसद में वापसी
- जसविंदर सिद्धू (कंजर्वेटिव, मिशन-मैट्सक्वी-फ्रेजर कैन्यन): पहली बार जीत
- गगन सिखु (कंजर्वेटिव, पैन्जराइड): पहली जीत
- संजीव शर्मा (कंजर्वेटिव, हैमिल्टन ईस्ट-स्टोनी क्रीक): पहली बार जीत.
खालिस्तानियों का यार हारा
कनाडा के 2025 संघीय चुनाव में भारतीय मूल के 24 उम्मीदवारों की जीत यह बताती है कि भारतीय मूल के लोगों का कनाडा की राजनीति में किस तरह प्रभाव बढ़ रहा है. इस चुनाव में सबसे खास बात यह रही कि जस्टिन ट्रूडो का यार और खालिस्तानी एजेंडे को बढ़ावा देने वाला जगमीत सिंह हार गया. ट्रूडो सरकार में किंगमेकर की हैसियत रखने वाला खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह और उसकी पार्टी की करारी हार हुई है. खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह को पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो के भारत विरोधी रुख के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक माना जाता है. ट्रूडो अपनी अल्पमत सरकार को सत्ता में बनाए रखने के लिए जगमीत पर निर्भर थे. अब जगमीत सिंह व्यक्तिगत रूप से पराजित हो चुके हैं, उनकी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (एनडीपी) अप्रासंगिक हो गई है. कनाडा में लिबरल की जीत हुई है.