
स्थानीय मुर्गी का बढ़ता हुआ बाजार
देशी मुर्गियों की मांग हमेशा से बाजार में बनी रहती है. विशेष रूप से जंगली मुर्गियों का मांस स्वाद और स्वास्थ्य के लिहाज से लोगों में बहुत लोकप्रिय है. खासकर त्योहारों के समय, इनकी मांग और भी बढ़ जाती है. अगर आप भी किसी व्यवसाय में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए मददगार हो सकती है.
सैदम्मा की सफलता की कहानी
सूर्यापेट जिले के मद्दीराला मंडल के कुक्कड़म गांव की रहने वाली सैदम्मा नातू ने मुर्गी पालन के व्यवसाय में कदम रखा. कोविड के बाद उन्होंने अपने पति की मदद से मुर्गियाँ पालनी शुरू की. शुरुआत में थोड़ी मुश्किलें जरूर आईं, लेकिन मेहनत और सही दिशा में किए गए प्रयासों ने उन्हें सफलता दिलाई.
व्यवसाय की शुरुआत और विकास
सैदम्मा ने मुर्गी पालन के व्यवसाय की शुरुआत एक छोटे से शेड से की थी, जिसे उन्होंने अपने खेत में बनाया था. शुरुआत में, उन्होंने 2,000 चूजों को खरीदा और उन्हें पाला. चार महीने बाद, इन मुर्गियों का वजन बढ़कर 1 से 2 किलो तक हो जाता है, और फिर उन्हें बेच दिया जाता है. हर चार महीने में मुर्गियों के एक बैच को तैयार किया जाता है. इस प्रक्रिया को वे बड़े ही व्यवस्थित तरीके से करते हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है.
खर्च और मुनाफे का हिसाब
अब अगर हम खर्च की बात करें, तो प्रत्येक बैच में मुर्गियों के खाने, दवाइयों और अन्य जरूरी चीजों पर लगभग 15 लाख रुपये खर्च होते हैं. हालांकि, एक बैच से सैदम्मा को 4.50 लाख रुपये की आय होती है. सारे खर्चों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें लगभग 1.50 लाख रुपये का मुनाफा मिलता है. अगर साल में तीन बैच लगाए जाएं, तो सैदम्मा का कुल मुनाफा 10 लाख रुपये से भी ज्यादा हो जाता है.
व्यवसाय शुरू करने से पहले ये जानें
अगर आप भी कोई व्यवसाय शुरू करने का विचार कर रहे हैं, तो सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि उस क्षेत्र में मांग है या नहीं. जब आप सही योजना बनाकर कड़ी मेहनत करते हैं, तो सफलता मिलना निश्चित है. सैदम्मा की तरह, आप भी किसी अच्छे व्यवसाय का चुनाव कर अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं.