
Bihar News: बिहार में रामायण सर्किट का विकास होगा, जिसमें नए स्थल जोड़े जाएंगे. सीएम नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के बाद यह प्रक्रिया शुरू हुई. सीतामढ़ी, बक्सर, दरभंगा, मधुबनी आदि स्थलों का सौंदर्यीकरण होगा.

हाइलाइट्स
- बिहार में रामायण सर्किट का विस्तार होगा, नये तीर्थ स्थल जुड़ेंगे.
- सीतामढ़ी, बक्सर, मधुबनी, दरभंगा, जमुई का सौंदर्यीकरण होगा.
- नए स्थलों के विकास के लिए करोड़ों की योजनाएं स्वीकृत की गई.
पटना. रामायण सर्किट का अब बिहार में नए सिरे से विकास होगा. सीएम नीतीश की प्रगति यात्रा के दौरान हुई घोषणाओं के बाद अब इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसमें कुछ नए स्थल भी आ गए हैं जिन्हें फिर से लोगों के सामने लाया जाना है. जनश्रुतियों (पुराने लोगों की बताई गई स्मृतियों पर आधारित विमर्श) में राम भगवान राम से जुड़े कुछ ऐसी जगह हैं ऐसे स्थान हैं जिन्हें तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के सामने लाया जाना अभी शेष है. ऐसे में बिहार का पर्यटन विभाग सभी स्थलों का अध्ययन करवारकर उनके विकास की योजना बना रहा है.
दरअसल, पर्यटन विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि अयोध्या से जनकपुर के रास्ते पिंडदान के लिए गया जी पहुंचने के रास्ते में लखीसराय में श्रृंगी ऋषि के आश्रम के आसपास वाले स्थान, वाल्मीकि नगर में महर्षि वाल्मीकि के आश्रम से जुड़े कई अनसुने स्थल अभी इसमें शामिल नहीं हैं. हालांकि, आसपास के क्षेत्र में जनश्रुतियों में कहानियों में के रूप में यह प्रचलित हैं और अब इन्हीं का अध्ययन कराया जा रहा है. सबसे पहले जनश्रुतियों के अनुसार, इनका साहित्य तैयार किया जा रहा है और उसके बाद सौंदर्यीकरण करवाकर इन्हें पर्यटन स्थल बनाया जाएगा. उनकी प्रमाणिकता मिलने पर रामायण सर्किट का विस्तार किया जाएगा.
इन स्थानों को रामायण सर्किट से जोड़ने की योजना
पर्यटन विभाग की ओर से तैयार किए गए रामायण परिपथ (सर्किट) में वर्तमान में 19 जिले के स्थल शामिल हैं. उनके सौंदर्यीकरण और विकास का काम पर्यटन विभाग की ओर से चल रहा है. रामायण सर्किट में जो स्थल अभी शामिल हैं उनमें सीतामढ़ी का पुनौराधाम- महेश्वर स्थान पथ, बक्सर जिले का रामरेखा घाट-अहिरौली, दरभंगा जिले का अहिल्या स्थान और गौतम कुंड, मधुबनी जिले का गिरिजा स्थान और फुलहर, जमुई जिले का गिद्धेश्वर, वैशाली जिले में रामचौरा, भोजपुर जिले में तार, गया जिले में सीता कुंड और रामशिला, जहानाबाद में काको, मुंगेर में सीता कुंड, औरंगाबाद में सीता थाप, पश्चिमी चंपारण में वाल्मीकि नगर और चंकी घाट के अतिरिक्त सिवान के सारंग के साथ गोपालगंज एवं शिवहर में भी कई ऐसे स्थल हैं, जो सर्किट का हिस्सा हैं. इन्हें राम जानकी मार्ग से जोड़ा जा रहा है. वहीं भागलपुर, बांका, मधेपुरा को भी शामिल किया गया है. इनमें भागलपुर में अजगबीनाथ मंदिर, बांका में मंदार हिल जैसे स्थल शामिल हैं.

रामायण सर्किट के विस्तार में भागलपुर, बांका और मधेपुरा जिलों के तीर्थ स्थल भी जोड़े जा रहे.
विकसित होने वाले तीर्थ स्थल और आवंटित राशि
बता दें कि सीतामढ़ी में माता जानकी की जन्मभूमि पुनौरा धाम को राम जन्मभूमि अयोध्या की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है.पुनौराधाम के विकास के लिए करीब 143 करोड़ की योजना स्वीकृत की गई है. इसमें 50 एकड़ से अधिक भूमि के अधिग्रहण पर 120 करोड़ रुपए की राशि खर्च होनी है. वहीं, यह अत्याधुनिक सुविधाओं के लिए 23.6 करोड़ की योजना स्वीकृत की गई है. मधुबनी के फुलहर के लिए 31 करोड़, अहिल्या स्थान के लिए 23 करोड़, सीता कुंड के लिए 14 करोड़, वाल्मीकि नगर के लिए 51 करोड़, बक्सर रामरेखा घाट के लिए 13.2 करोड रुपए स्वीकृत किए जा चुके हैं.