
राफेल लड़ाकू विमान को आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा, जो वर्तमान में सेवा में है। राफेल एम जेट को भारतीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुकूलित किया जाएगा और विमान वाहक में एकीकृत किया जाएगा। स्वदेशी वाहक-जनित लड़ाकू जेट के विकास के पूरा होने तक इन वाहक-जनित लड़ाकू विमानों को एक स्टॉपगैप समाधान के रूप में खरीदा जा रहा है। सरकार-से-सरकार के अनुबंध में 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर जेट शामिल हैं, साथ ही बेड़े के रखरखाव, रसद सहायता, कर्मियों के प्रशिक्षण और स्वदेशी घटक निर्माण के लिए एक व्यापक पैकेज भी शामिल है।यहां यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि राफेल एम जेट आईएनएस विक्रांत से संचालित होंगे और मौजूदा मिग-29K बेड़े का समर्थन करेंगे। भारतीय वायु सेना पहले से ही 2016 में हस्ताक्षरित एक अलग सौदे के तहत हासिल किए गए 36 राफेल विमानों का बेड़ा संचालित करती है। ये विमान अंबाला और हासीमारा में स्थित हैं। नए सौदे से भारत में राफेल विमानों की कुल संख्या 62 हो जाएगी, जिससे देश के 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के बेड़े में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।