
Gold Vs Nifty Returns: पिछले फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में सोने ने सालाना 41 फीसदी रिटर्न दिया है. इस दौरान निफ्टी ने सालाना रिटर्न 5.34 फीसदी का दिया है.

हाइलाइट्स
- सोने ने FY25 में 41% रिटर्न दिया.
- निफ्टी ने FY25 में 5.34% रिटर्न दिया.
- RBI ने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा बढ़ाया.
Gold Vs Nifty Returns: निवेशकों के लिए सोना एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है. बीते एक सालों में सोने ने इक्विटी (शेयर बाजार) से बेहतर प्रदर्शन किया है. दरअसल, फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में सोने ने सभी एसेट क्लास में सबसे ज्यादा 41 फीसदी (डॉलर में) का रिटर्न दिया है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की ओर से सोमवार को यह जानकारी दी गई.
फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में एनएसई के निफ्टी ने 5.34 फीसदी का रिटर्न दिया था. हालांकि, लॉन्ग टर्म में भारतीय इक्विटी बाजार ने निवेशकों को ज्यादा रिटर्न दिया है और वेल्थ बनाने में मदद की है. बीते 20 सालों में निफ्टी ने डिविडेंड को मिलाकर 14.4 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है, जो कि सोने की ओर से दिए गए सालाना रिटर्न से काफी ज्यादा है.
15 सालों के हाई पर सोना
सोने में तेजी आने की अहम वजह डिमांड में बढ़ोतरी होना है, जो कि 15 सालों के हाई पर पहुंच गई है. यह लगातार तीसरा साल है जब केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और ज्यादा ईटीएफ इनफ्लो के कारण डिमांड 1,000 टन से ज्यादा रही है. दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) में विविधता लाने के लिए बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं.
विदेशी मुद्रा भंडार में 11 फीसदी से ज्यादा है सोने का हिस्सा
स्टॉक एक्सचेंज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “भारत में भी इस बदलाव को महसूस किया गया है, पिछले 3 और 5 सालों में आरबीआई तीसरे सबसे बड़े आधिकारिक खरीदार के रूप में उभरा है और अब सोने का हिस्सा विदेशी मुद्रा भंडार में 11 फीसदी से ज्यादा हो गया है.”
ईटीएफ में तेज इनफ्लो
ज्याद कीमतों के कारण ज्वेलरी की डिमांड में कमी आई है और निवेश बढ़ा है. भारत के साथ ग्लोबल लेवल पर सोने पर आधारित ईटीएफ में तेज इनफ्लो दर्ज किया गया है. 2025 की पहली तिमाही में सोने पर आधारित ईटीएफ में 21 अरब डॉलर (226 टन) का नेट इनफ्लो दर्ज किया गया है, जो 2020 की दूसरी तिमाही में आए इनफ्लो के बाद सबसे ज्यादा है.