
टाइटैनिक जहाज के यात्री कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी का लिखा पत्र ब्रिटेन में 3.41 करोड़ रुपये में बिका. यह पत्र 10 अप्रैल 1912 को लिखा गया था. नीलामी में यह अब तक का सबसे महंगा पत्र है.

हाइलाइट्स
- 113 साल पुराना टाइटैनिक यात्री का पत्र 3.41 करोड़ रुपये में बिका.
- कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी का पत्र 10 अप्रैल 1912 को लिखा गया था.
- यह टाइटैनिक से जुड़ा अब तक का सबसे महंगा बिकने वाला पत्र है.
टाइटैनिक जहाज के एक यात्री का लिखा हुआ एक पत्र ब्रिटेन में नीलामी में रिकॉर्ड दाम पर बिका है. कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी का यह पत्र एक गुप्त खरीदार ने 3.41 करोड़ रुपये (300,000 पाउंड) में खरीदा. यह नीलामी रविवार को इंग्लैंड के विल्टशायर में ‘हेनरी एल्ड्रिज एंड सन’ नीलामी घर में हुई.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस पत्र की शुरुआती अनुमानित कीमत करीब 60,000 पाउंड थी, लेकिन यह पांच गुना ज्यादा दाम में बिका. इस पत्र को ‘भविष्यवाणी जैसा’ कहा जा रहा है, क्योंकि इसमें कर्नल ग्रेसी ने अपने एक दोस्त को लिखा था कि ‘ये जहाज तो अच्छा है पर इसके बारे कोई फैसला लेने से पहले अपनी यात्रा खत्म होने का इंतजार करेंगे.’
यह पत्र 10 अप्रैल 1912 को लिखा गया था, उसी दिन जब कर्नल ग्रेसी टाइटैनिक पर सवार हुए थे. पांच दिन बाद, जहाज उत्तरी अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकराकर डूब गया था. इस हादसे में करीब 1,500 लोगों की जान चली गई थी.
कर्नल ग्रेसी फर्स्ट क्लास यात्री थे और उन्होंने केबिन नंबर C51 से यह पत्र लिखा था. यह पत्र अगले दिन, 11 अप्रैल को तब पोस्ट किया गया जब टाइटैनिक आयरलैंड के क्वीन्सटाउन (अब कोव) में रुका था. पत्र पर 12 अप्रैल की लंदन पोस्टमार्क भी लगी थी.
नीलामी घर के अनुसार, यह टाइटैनिक से जुड़ा अब तक का सबसे महंगा बिकने वाला पत्र है.
बचने के बाद कर्नल ग्रेसी ने ‘द ट्रुथ अबाउट द टाइटैनिक’ नामक एक किताब लिखी थी, जिसमें उन्होंने हादसे का अपना अनुभव साझा किया था. उन्होंने बताया था कि कैसे वह ठंडे पानी में एक पलटी हुई लाइफबोट पर चढ़कर बच पाए थे. हालांकि, लाइफबोट पर पहुंचने वाले कई लोग ठंड और थकावट से मर गए थे.
कर्नल ग्रेसी इस हादसे में तो बच गए थे, लेकिन उनका स्वास्थ्य काफी बिगड़ गया. बाद में वे कोमा में चले गए और 4 दिसंबर 1912 को मधुमेह (डायबटीज) से जुड़ी परेशानियों के कारण उनका निधन हो गया.