
गढ़वा के मेराल प्रखंड के छोटे से गांव अकलवाणी में जन्मी छाया कुमारी का सफर आसान नहीं रहा. आर्थिक तंगी ने उन्हें कई बार झुकाने की कोशिश की, लेकिन छाया ने कभी हार नहीं मानी. सीमित संसाधनों और कठिन हालातों के बावजूद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और आज पूरे गांव का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है. छह महीने पहले ही छाया ने बीपीएससी परीक्षा भी पास कर ली थी और अब छह महीने के भीतर दूसरी बड़ी सफलता हासिल कर अपने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है.
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पिता का सपना हुआ पूरा
छाया के पिता सुनील दुबे की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए जब उनकी बेटी ने फोन पर कहा पापा, मैं अफसर बन गई हूं. उन्होंने बताया जब मेरी बेटी को यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडल मिला था, तब मैंने कहा था कि मेरी असली खुशी उस दिन होगी जब दुनिया मुझे मेरी बेटी के नाम से पहचानेगी, और आज वही दिन है.
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मां की ममता में बसी है बेटी की मेहनत
छाया की मां सीमा देवी ने भी बेटी की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए कहा आज पूरा गांव खुशी से झूम रहा है. मेरी बेटी ने हमारे सपनों को सच कर दिखाया है. छाया की बड़ी मां आशा देवी ने बताया कि कैसे छाया ने बेहद कठिन परिस्थितियों में पढ़ाई जारी रखी. कई बार निराशा हाथ लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. बहन कृति कुमारी ने भी बताया कि छाया ने पांचवें प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की. पहले के प्रयासों में वह बस कुछ अंकों से पीछे रह जाती थीं, मगर इस बार मेहनत ने रंग दिखाया.
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