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केंद्रीय कानून मंत्री ने संसद में कहा था कि अदालती आदेशों को लागू करने की जिम्मेदारी संबंधित प्रशासनिक मंत्रालयों और विभागों पर है।
केंद्रीय कानून मंत्रालय ने अन्य मिनिस्ट्री को निर्देश जारी किए हैं। इसमें अवमानना (अनादर) के पेंडिंग मामलों में कोर्ट को समय पर जवाब देने को कहा गया है। जिससे अवमानना कार्रवाइयों को रोका जा सके। देशभर की अदालतों में केंद्र सरकार से जुड़े लगभग 1.50 लाख अवमानना (अनादर) के मामले पेंडिंग है।
मंत्रालय ने कहा- मिनिस्ट्री और उनके विभागों में केस को संभालने वाले कई अधिकारी कानून के क्षेत्र में योग्यता नहीं रखते हैं। इसके कारण कानूनी समझ की कमी और ज्यूडिशियल निर्देश के जवाब देने में देरी होती है। यही वजह है जिसके कारण विभागों के प्रमुखों के खिलाफ केस दर्ज होते हैं।
दरअसल, बजट सत्र के दौरान लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल लिखित जवाब दाखिल किया था। इसमें कहा गया था कि अदालत के आदेशों को लागू करने की जिम्मेदारी संबंधित मिनिस्ट्री और विभागों पर है।
मंत्रालय के दिए निर्देश
- मंत्रालय ने निर्देश दिया कि सभी मिनिस्ट्री एक नोडल अधिकारी अपॉइन्ट करें। ये अधिकारी जॉइंट सेक्रेटरी की रैंक से नीचे न हो। उसे केस के मैनेजमेंट की जिम्मेदारी सौंपी जाए।
- नोडल अधिकारी के पास LLB डिग्री होनी चाहिए। इसके अलावा हाई एजुकेशन होनी चाहिए और वो ज्यूडिशियल एक्सपर्ट भी होना चाहिए।
- मिनिस्ट्री में कानूनी केस से निपटने के लिए डायरेक्टर (कानून), डिप्टी सेक्रेटरी (कानून)/ अपर सेक्रेटरी (कानून) के पद जनरेट किए जाएं।
ज्यादातर मंत्रालयों में कानूनी सेल नहीं
कानून मंत्रालय के निर्देश में कहा गया कि रिसोर्स की कमी के चलते मिनिस्ट्रियों में केस हैंडल करने की क्षमता लिमिटेड है। अधिकांश मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट में कानूनी सेल नहीं है। मामले एडमिनिस्ट्रेशन या टेक्निकल डिवीजन संभालती हैं।
मंत्रालय ने कहा कि कभी-कभी न्यायिक निर्णयों और आदेशों का पालन न करने के चलते सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाती है। इसे बेहतर निगरानी और मैनेजमेंट सिस्टम बनाकर रोका जा सकता है।
मेघवाल ने कहा था- 5 करोड़ केसों का जल्द निपटारा होगा
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जनवरी 2025 में कहा था कि वर्तमान में देश की अदालतों में 5 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं। इनके निपटारे के लिए ‘अल्टरनेट डिस्प्यूट रेजोल्यूशन मेकैनिज्म’ (ADR) सिस्टम तैयार किया गया है। इस व्यवस्था में आर्बिट्रेशन, मेडिएशन और लोक अदालत जैसे विकल्पों का प्रयोग किया जाएगा।
उन्होंने कहा था कि 1 जुलाई 2024 से भारतीय न्यायिक संहिता (IPC के स्थान पर), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CrPC के स्थान पर) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act के स्थान पर तीन नए कानून लागू होंगे।…………………..
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