
Indigenous HPV Test Kit for Cervical Cancer: महिलाओं में होने वाली कैंसर की बीमारी सर्वाइकल कैंसर के लिए भारत के वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिखाया है. इसके लिए देसी किट तैयार किया है जो एक घंटे के अंदर परिणाम बता द…और पढ़ें

Indigenous HPV Test Kit for Cervical Cancer: भारतीय जैव वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिखाया है. उसने ऐसा देसी किट तैयार किया है जिससे एक घंटे के अंदर सर्वाइकल कैंसर की पहचान की जा सकती है. यहां तक कि अगर भविष्य में किसी महिला को सर्वाइकल कैंसर होने वाला है तो इसका भी अंदेशा लगा सकता है. यह किट भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और कई अन्य एंजेसियों के वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार की है. यह भारत का पहला स्वेदसी एचपीवी टेस्ट किट है. इस टेस्ट किट को मोलबियो डायगनोस्टिक लिमिटिड बेंगलुरु फिजकल रूप में तैयार कर रहा है. इस किट को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों ने अनुमोदन कर दिया है.
बहुत ही किफायती है यह टेस्ट
सर्वाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं में बहुत बड़ी समस्या हैं. विश्व में हर पांचवा सर्वाइकल कैंसर का मरीज भारत में है. सर्वाइकल कैंसर से जितनी मौते होते हैं उनमें 25 प्रतिशत मौतें भारत में होती है. इसका सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर की पहचान न हो पाना है. सर्वाइकल कैंसर को होने में बहुत साल लगता है. इसलिए इसकी पहचान अगर नियमित जांच की जाए तो बहुत पहले चल सकती है. इससे लाखों मरीजों की जान बच सकती है क्योंकि पहले पता लगने पर कैंसर होने से पहले इस वायरस को शरीर से हटाया जा सकता है. द हिन्दू की खबर के मुताबिक यह किट आरटी-पीसीआर टेस्टिंग मेथड पर बना है. ठीक वैसे ही जैसे कोरोना के लिए किट बनी थी. इसमें एक चिप लगा होता है जो रियल टाइम सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार 8 तरह के एचपीवी जीनोटाइप का पता तुरंत लगा लेता है. यहीं 8 एचपीवी वायरस दुनिया में 96 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह टेस्ट किट बहुत आसानी से हर जगह उपलब्ध हो जाएगी और बहुत सस्ती भी होगी.
35 की उम्र तक हर महिला को यह टेस्ट कराने की जरूरत
वर्तमान में जो सर्वाइकल कैंसर के लिए टेस्ट किए जाते हैं पेप स्मीयर टेस्ट प्रमुख है. इसके अलावा सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए विजुअल इंस्पेक्शन विद एसिटिक एसिड (वीआइए) और एचपीए डीएनए टेस्टिंग जैसी कई टेकनोलॉजी मौजूद हैं. लेकिन ये सभी टेस्ट बहुत महंगी है और इसमें समय भी काफी लगता है. ऐसे में स्वदेसी तरीके से तैयार किट मील का पत्थर साबित हो सकता है. केंद्रीय विज्ञान मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने इस किट की समीक्षा के लिए विभिन्न एजेंसियों के वैज्ञानिकों की एक समीक्षा बैठक बुलाई थी. उन्होंने इस एचपीवी टेस्ट किट के विकसित होने पर वैज्ञानिकों को वधाई दी और इसे स्वास्थ्य सेवा के लिए महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि भारत में सर्वाइकल कैंसर से 25 प्रतिशत मौतें हो जाती है. हर साल 1.23 लाख महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर हो जाती है जिनमें से 77 हजार की मौत हो जाती है. ऐसे में हमारा अंतिम उद्देश्य सर्वाइकल कैंसर के लिए सस्ती, सुलभ और आदर्श रूप से एक किफायती टेस्ट किट तैयार करना था जिसमें हमने सफलता प्राप्त कर ली है. डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य है कि 2030 तक 35 की उम्र तक कम से कम 70 प्रतिशत महिलाओं को एचपीवी टेस्ट हो जाना चाहिए.