
Controversial statement of POK PM: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और भी खराब हो गए हैं. अब पाकिस्तान की तरफ से विवादित बयान दिए जा रहे हैं.
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के प्रधानमंत्री ने भी भारत के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया है. उन्होंने हमले का समर्थन किया और कहा कि यह हमला बलूचिस्तान में हुई घटनाओं का बदला है.
चौधरी अनवारुल हक ने कही ये बात
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के प्रधानमंत्री चौधरी अनवारुल हक ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर धमकी भरे शब्दों में कहा, “मैं साफ-साफ कहना चाहता हूं कि अगर खून बहाना पड़े तो भी हम पीछे नहीं हटेंगे. अगर तुम बलूचिस्तान में पाकिस्तानियों का खून बहाओगे तो इसकी कीमत तुम्हें दिल्ली से लेकर कश्मीर तक चुकानी पड़ेगी.”
उन्होंने आगे कहा, “PoK के लड़ाके पहले भी ऐसे हमलों में शामिल रहे हैं और आगे भी और मजबूती से हिस्सा लेंगे. तुम जो करना है कर लो, हम पीछे नहीं हटेंगे.”
‘भारत के ताबड़तोड़ एक्शन से पाकिस्तान में खलबली’
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के सख्त कदमों से घबराए पाकिस्तान ने अब भारत के साथ व्यापार खत्म करने का ऐलान किया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की एक बैठक बुलाई, जो करीब दो घंटे तक चली. इस बैठक में भारत के फैसलों पर चर्चा हुई और इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी व्यापारिक रिश्ते तोड़ने की घोषणा कर दी. साथ ही पाकिस्तान ने अपने हवाई रास्ते (एयरस्पेस) को भी भारतीय विमानों के लिए बंद कर दिया है.
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने पर पाकिस्तान ने नाराजगी जताई और कहा कि पानी रोकना युद्ध जैसी कार्रवाई है. पाकिस्तान की NSC ने भारत के आरोपों को झूठा और बेबुनियाद बताया है. पाकिस्तान ने यह भी फैसला लिया है कि भारत के जो सैन्य सलाहकार (थल, नौसेना और वायुसेना) इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास में काम कर रहे हैं, उन्हें 30 अप्रैल तक पाकिस्तान छोड़ने का आदेश दिया गया है.
इसके साथ ही, यह तय किया गया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के दूतावासों में सिर्फ 30-30 अधिकारी ही काम करेंगे. पाकिस्तान ने भारत द्वारा सिंधु जल संधि को एकतरफा निलंबित करने का विरोध किया है और कहा है कि यह मुद्दा वह विश्व बैंक और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा. पाकिस्तान का कहना है कि विश्व बैंक इस संधि का हिस्सा है इसलिए भारत को अकेले ऐसा फैसला लेने का हक नहीं है.