
खतरनाक बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाएं
सोशल मीडिया मंच एक्स पर अनुप्रिया पटेल ने कहा, विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर हम सभी की जिम्मेदारी है कि मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाएं और इसे समाप्त करने के लिए एकजुट होकर काम करें. उन्होंने आगे कहा, भारत सरकार मलेरिया मुक्त भारत के लक्ष्य की दिशा में लगातार काम कर रही है. आइए, हम सब मिलकर इस अभियान को सफल बनाएं. मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है. यह बीमारी रोकी जा सकती है और इसका इलाज भी संभव है. भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक मलेरिया को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए. सरकार ने 2027 तक देश में मलेरिया के सभी स्थानीय मामलों को खत्म करने का संकल्प लिया है.
मलेरिया के मामलों में 69 प्रतिशत की कमी
विश्व स्वास्थ्य संगठन की दिसंबर 2024 में जारी ‘वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत में 2017 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों में 69% और इससे होने वाली मौतों में 68% की कमी आई है. साल 2023 में दुनिया भर के कुल मलेरिया मामलों में भारत का योगदान केवल 0.8% रहा. 2024 में भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट’ (एचबीएचआई) ग्रुप से बाहर आ गया, जो एक बड़ी स्वास्थ्य उपलब्धि है. पटेल ने कहा, “हर साल करोड़ों लोग मलेरिया से प्रभावित होते हैं, जबकि यह एक रोकी जा सकने वाली और इलाज योग्य बीमारी है. उन्होंने लोगों से अपील की कि साफ-सफाई रखें, मच्छरों से बचें, पूरे बाजू के कपड़े पहनें, मच्छरदानी और मच्छर भगाने वाले उपाय अपनाएं, बुखार होने पर तुरंत जांच कराएं.
दुनिया में मलेरिया के अब भी 2.2 अरब मामले
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, साल 2000 से अब तक मलेरिया के करीब 2.2 अरब मामलों और लगभग 1.27 करोड़ मौतों को रोका जा चुका है. अब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 45 देशों और एक क्षेत्र को ‘मलेरिया मुक्त’ घोषित किया है. वहीं, जिन देशों में मलेरिया के मामले कम हैं, वे भी धीरे-धीरे इसे पूरी तरह खत्म करने की दिशा में बढ़ रहे हैं. वर्तमान में 83 देशों में मलेरिया मौजूद है, लेकिन इनमें से 25 देशों ने 2023 में केवल 10 या उससे भी कम मामले दर्ज किए. हालांकि काफी प्रगति हुई है, फिर भी मलेरिया आज भी एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है. अकेले 2023 में करीब 6 लाख लोगों की जान मलेरिया के कारण गई. अफ्रीकी महाद्वीप पर इसका सबसे ज्यादा असर है, जहां हर साल करीब 95% मलेरिया का बोझ पड़ता है. इनपुट-आईएएनएस