
Vehicle Horn Rule : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि जल्द ही वाहनों के हॉर्न की आवाज बदल जाएगी. इस हॉर्न को भारतीय वाद्य यंत्रों के संगीत से बदला जाएगा. इसका मतलब है कि कार सहित सभी वाहनों में हॉरमोनिय…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- वाहनों के हॉर्न में भारतीय वाद्ययंत्रों का संगीत होगा.
- बांसुरी, तबला, हारमोनियम का संगीत हॉर्न में इस्तेमाल होगा.
- भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बना.
नई दिल्ली. शहरों में ट्रैफिक जाम और हॉर्न की तीखी आवाज से तो सभी का पाला रोज ही पड़ता होगा. कुछ लोग तो अपने वाहन में इतनी तेज आवाज का हॉर्न लगवाते हैं कि अचानक सुनने पर दूसरे लोग चौंक जाते हैं. सरकार ने अब इन सभी समस्याओं को जड़ से खत्म करने का प्लान बना लिया है. वाहनों में इस्तेमाल होने वाले हॉर्न की कर्कश ध्वनि को अब मधुर संगीत में बदला जाएगा.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि वह एक ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत वाहनों के हॉर्न में केवल भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की ध्वनि का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा. उन्होंने कहा, मैं एक ऐसा कानून बनाने की योजना बना रहा हूं कि सभी वाहनों के हॉर्न भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों पर आधारित हों, ताकि उन्हें सुनना सुखद हो.’
किस तरह का होगा संगीत
गडकरी ने बताया कि वाहनों में भारतीय शास्त्रीय वाद्ययंत्रों के संगीत को हॉर्न के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें बांसुरी, तबला, वायलिन और हारमोनियम जैसे वाद्ययंत्रों का संगीत शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश में वायु प्रदूषण में परिवहन क्षेत्र का योगदान 40 फीसदी है. इसे कम करने के लिए ही सरकार एथनॉल, मेथनॉल और ग्रीन एनर्जी पर आधारित वाहनों को बढ़ावा दे रही है.
तीसरा सबसे बड़ा बाजार
गडकरी ने कहा कि भारत को दोपहिया वाहनों और कारों के निर्यात से अधिकतम राजस्व मिलता है. साल 2014 में जहां भारतीय वाहन क्षेत्र का बाजार मूल्य 14 लाख करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 22 लाख करोड़ रुपये हो गया है. गडकरी ने कहा कि भारत, जापान को पीछे छोड़कर अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बन गया है.
अभी म्यूजिकल हॉर्न लगाने पर जुर्माना
सेंट्रल व्हिकल एक्ट 1989 के तहत अभी वाहनों में म्यूजिकल हॉर्न लगाना जुर्माने की श्रेणी में आता है. नियम के तहत हर गाड़ी में इलेक्ट्रिक हॉर्न होना जरूरी है. हॉर्न इतना तेज़ होना चाहिए कि कुछ मीटर तक उसकी आवाज़ आसानी से सुनाई दे सके. हालांकि, प्रेशर हॉर्न लगाने पर भी जुर्माना लगाया जा सकता है. पहले गाड़ियों में इलेक्ट्रिक हॉर्न जरूरी नहीं था, जिसकी वजह से कई बार एक्सीडेंट की आशंका बढ़ जाती है.