
क्या होती है पोप की अंगूठी?
पोप को उनके पद संभालने के बाद एक खास अंगूठी दी जाती है, जिसे “फिशरमैन रिंग” कहा जाता है. यह सिर्फ कोई गहना नहीं होती, बल्कि पोप के अधिकार और जिम्मेदारी की पहचान होती है. इस रिंग पर पहली बार के पोप माने जाने वाले ‘सेंट पीटर’ की आकृति बनी होती है, जिन्हें यीशु ने अपने सबसे खास शिष्य के रूप में चुना था. कुछ रिंग्स में उन्हें मछली पकड़ते हुए दिखाया गया है और कुछ में वो स्वर्ग की चाबियां पकड़े दिखते हैं.
यह भी पढ़ें – Chandra Grahan 2025: इस बार खास होगा दूसरा चंद्र ग्रहण, आसमान में दिखेगा ब्लड मून, जानें सूतक काल
पोप इस अंगूठी को अपने दाहिने हाथ की रिंग फिंगर में पहनते हैं और यह उनके खास होने का प्रतीक होती है. पुराने समय में इस रिंग से दस्तावेजों पर मुहर लगाई जाती थी ताकि यह साबित किया जा सके कि वह दस्तावेज पोप के नाम से जारी हुआ है. लेकिन आज के समय में इस रिंग का उपयोग सिर्फ धार्मिक समारोहों तक सीमित रह गया है.
अंगूठी तोड़ने की परंपरा
जैसे ही किसी पोप का निधन होता है, या वो पद से हटते हैं, उनकी फिशरमैन रिंग को एक खास तरह के हथौड़े से तोड़ा जाता है. यह काम वेटिकन के एक अधिकारी ‘कैमरलेंगो’ की देखरेख में किया जाता है. रिंग तोड़ना केवल एक प्रतीकात्मक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसका एक महत्वपूर्ण उद्देश्य भी होता है यह सुनिश्चित करना कि उस रिंग का कोई गलत उपयोग न कर सके. यह परंपरा इस बात का भी संकेत है कि पुराने पोप का कार्यकाल अब खत्म हो चुका है और नया पोप चुने जाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है.
पोप फ्रांसिस की रिंग का इतिहास
पोप फ्रांसिस को 2013 में जब पोप चुना गया था, तब उन्हें यह अंगूठी दी गई थी. हालांकि यह पारंपरिक सोने की जगह चांदी की थी, जिस पर सोने की परत चढ़ाई गई थी. यह पोप फ्रांसिस की सादगी और सरलता का प्रतीक मानी गई थी. उनका मानना था कि पद से बड़ा सेवा भाव होता है.
रिंग चूमने की परंपरा
कैथोलिक धर्म में पोप की अंगूठी को चूमना एक पुरानी रस्म है. इसे सम्मान और भक्ति का तरीका माना जाता रहा है. लोग जब पोप से मिलते हैं, तो उनके हाथ और खासकर अंगूठी को चूमते हैं. लेकिन बीते कुछ सालों में यह परंपरा कम हो गई है. पोप फ्रांसिस खुद नहीं चाहते थे कि लोग उनकी रिंग को चूमें. एक बार 2019 में उनका वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो लोगों से हाथ पीछे खींचते नजर आए थे. बाद में वेटिकन ने कहा कि ऐसा उन्होंने सफाई और बीमारी से बचने के लिए किया था.
यह भी पढ़ें – ‘एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर भूख, प्यास और दुख का राज होगा’, प्रेमानंद जी महाराज ने दिए ये किस घटना का संकेत?
क्या हर बार रिंग तोड़ी जाती है?
अधिकतर मौकों पर हां. लेकिन हर बार नहीं. जब पोप बेनेडिक्ट XVI ने 2013 में अपने पद से इस्तीफा दिया था, तब उनकी अंगूठी नहीं तोड़ी गई थी. उस समय इसे स्क्रैच कर बेकार कर दिया गया था, ताकि उसका इस्तेमाल दोबारा न हो सके. लेकिन जब किसी पोप की मृत्यु होती है, तो परंपरा के अनुसार रिंग को पूरी तरह तोड़ा जाता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)