
Cultural Tradition: लसाड़िया थानाधिकारी हर्षराज सिंह ने कहा कि पुलिस केवल कानून की रखवाली ही नहीं करती, बल्कि समाज का अभिन्न अंग भी है. ‘हमारी कोशिश रहती है कि जरूरतमंदों की हर संभव मदद की जाए, और जब बात अपने ह…और पढ़ें

पुलिस ने भरा मायरा
- लसाड़िया पुलिस ने सहयोगी की बेटी की शादी में भरा मायरा
- थानाधिकारी हर्षराज सिंह ने भाई बनकर भरा मायरा
- पुलिसकर्मियों ने दुल्हन को श्रृंगार, वस्त्र, बर्तन और दी नकद राशि
उदयपुर. सलुम्बर लसाड़िया उपखंड के टटाकिया गांव में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने सभी के दिलों को छू लिया.आमतौर पर कानून व्यवस्था संभालने वाली पुलिस इस बार सामाजिक सरोकार निभाते हुए मानवता की मिसाल बन गई. लसाड़िया थाना पुलिस ने अपने ही स्टाफ के एक सहयोगी की बेटी की शादी में भाई बनकर मायरा भरा. इस पुनीत कार्य की पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है.
पुलिसकर्मियों ने निभाई परिवार की भूमिका
लसाड़िया थाना क्षेत्र के लोगर लाल मीणा, जो वर्तमान में लसाड़िया पुलिस थाने में लांगरी (रसोइया) के पद पर कार्यरत हैं, उनकी बेटी की शादी में पुलिसकर्मियों ने वह भूमिका निभाई, जो अक्सर परिवार के सदस्य निभाते हैं. थानाधिकारी हर्षराज सिंह स्वयं आगे आए और भाई की भूमिका में मायरा लेकर पहुंचे. उनके साथ थाना स्टाफ के सभी पुलिसकर्मी भी शामिल हुए.
सम्पूर्ण थाने का सहयोग
लसाड़िया पुलिस थाने के समस्त स्टाफ ने मिलकर मायरे में न सिर्फ दुल्हन के श्रृंगार का सामान, वस्त्र, बर्तन आदि भेंट किए, बल्कि 21,101 रुपये की नकद राशि भी दी. पुलिसकर्मियों का यह योगदान केवल आर्थिक नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से भी गहराई लिए हुए था.इस मौके पर मायरे में शामिल हुए लोग भावुक हो उठे. गांववालों ने पुलिस के इस कदम की खुले दिल से प्रशंसा की. स्थानीय लोगों का कहना है कि आज के समय में जब सरकारी कर्मचारी अक्सर औपचारिक सीमाओं में ही बंधे रहते हैं, ऐसे में लसाड़िया पुलिस का यह भावनात्मक सहयोग पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है.
सामाजिक सरोकार की अनूठी मिसाल
थानाधिकारी हर्षराज सिंह ने कहा कि पुलिस केवल कानून की रखवाली ही नहीं करती, बल्कि समाज का अभिन्न अंग भी है. ‘हमारी कोशिश रहती है कि जरूरतमंदों की हर संभव मदद की जाए, और जब बात अपने ही साथी की बेटी की शादी की हो, तो यह हमारा कर्तव्य भी बन जाता है.’
सहयोग की भावना हुई मजबूत
टटाकिया गांव सहित लसाड़िया उपखंड में पुलिस द्वारा मायरा भरने की यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है. लोगों का कहना है कि यह कार्य केवल एक परंपरा का निर्वहन नहीं था, बल्कि समाज में समरसता और सहयोग की भावना को मजबूत करने वाला कदम था.
पुलिस की मानवता को सलाम
लसाड़िया पुलिस की यह पहल दिखाती है कि वर्दी पहनने वाले भी इंसान हैं, जिनके सीने में भी एक दिल धड़कता है- संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण. इस प्रेरणादायक कार्य ने पुलिस और जनता के बीच की दूरी को थोड़ा और कम कर दिया है.इस घटना ने साबित कर दिया कि यदि प्रशासनिक सेवाएं मानवीय दृष्टिकोण से कार्य करें, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाना संभव है.