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क्या आपको भी रात में करवटें बदलनी पड़ती हैं? बिस्तर पर जाने के बाद भी दिमाग यहां-से-वहां भागता रहता है और नींद नहीं आती है। अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं। कभी-न-कभी तो ऐसा होता है कि बहुत कोशिश के बाद भी नींद नहीं आती है। हम बुरी तरह थके होते हैं, शरीर को आराम की सख्त जरूरत होती है। इसके बावजूद नींद नहीं आती है।
जर्नल ऑफ क्लिनिकल स्लीप मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया में लगभग हर 3 में से 1 व्यक्ति को इंसोम्निया के लक्षण महसूस होते हैं। दुनिया के 10% लोगों में इंसोम्निया डिसऑर्डर के क्रॉनिक लक्षण दिखते हैं। जबकि भारत में हर 4 में से 1 व्यक्ति इंसोम्निया का सामना कर रहा है।
नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, अगर किसी को बेड पर जाने के बाद 30 मिनट के भीतर नींद आ जाती है और रात में 5 मिनट से ज्यादा देर के लिए नींद नहीं खुलती है तो इसका मतलब है कि सब सही चल रहा है। आपको अच्छी नींद आ रही है। अगर ऐसा नहीं है, तो समस्या है।
इसलिए ‘फिजिकल हेल्थ’ में आज इंसोम्निया की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-
- किन छोटे-छोटे कारणों से हमारी नींद उड़ रही है?
- बेड पर जाते ही जल्दी नींद कैसे आ सकती है?
इंसोम्निया क्या है?
अगर रात में सोने में दिक्कत होती है, बार-बार नींद खुल जाती है या सुबह बहुत जल्दी जाग जाते हैं और फिर नींद नहीं आती है तो यह इंसोम्निया हो सकता है।

किन कारणों से होता है इंसोम्निया?
इंसोम्निया कई कारणों से हो सकता है। इसके पीछे कोई फिजिकल, मेंटल और अन्य कारण हो सकते हैं। इसकी 10 कॉमन वजह ग्राफिक में देखिए:

ग्राफिक में दिए सभी कारण विस्तार से समझते हैं-
तनाव और चिंता
जब दिमाग लगातार किसी बात को लेकर चिंतित रहता है, चाहे यह नौकरी हो, रिश्ते हों या आर्थिक समस्याएं हों तो शरीर स्ट्रेस हॉर्मोन यानी कोर्टिसोल रिलीज करता है। इसके कारण नींद डिस्टर्ब होती है।
स्क्रीन टाइम ज्यादा होना
सोने से पहले मोबाइल, लैपटॉप या टीवी देखने की आदत भी बड़ी वजह हो सकती है। ब्लू लाइट के कारण नींद के लिए जरूरी हॉर्मोन मेलाटॉनिन पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाता है। इसलिए दिमाग एक्टिव बना रहता है और नींद नहीं आती है।
कैफीन और निकोटिन का सेवन
चाय, कॉफी, सिगरेट और कोल्ड ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन और निकोटिन नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करता है। इससे शरीर रिलैक्स नहीं हो पाता है और नींद आने में देरी होती है।
सोने-जागने का अनियमित समय
अगर आप कभी जल्दी सोते हैं और कभी देर रात तक जागते हैं या हफ्ते भर कम सोकर वीकेंड पर ज्यादा सोते है तो इससे स्लीप साइकल डिस्टर्ब हो जाती है। इससे नींद डिस्टर्ब हो सकती है।
डिप्रेशन और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं
डिप्रेशन में दिमाग की केमिस्ट्री बदल जाती है। यह सामान्य तरीके से काम नहीं करता है, जिससे नींद आने में परेशानी होती है या बार-बार नींद खुल जाती है।
खराब खानपान और देर रात खाना
रात में भारी और तला-भुना भोजन करने से एसिडिटी और पाचन संबंधी दिक्कतें हो सकती हैं, जिससे नींद खराब हो सकती है।
एक्सरसाइज का गलत समय
रात में देर से वर्कआउट करने से शरीर में एड्रेनेलिन हॉर्मोन बढ़ जाता है, जिससे शरीर को रिलैक्स होने में समय लगता है और नींद आने में देरी होती है।
बहुत ज्यादा या बहुत कम रोशनी
अगर सोने की जगह बहुत ज्यादा रोशनीदार या बहुत अंधेरी है तो दिमाग को सही संकेत नहीं मिलते हैं और नींद में परेशानी होती है।
नींद से जुड़ी बीमारियां
स्लीप एप्नीया, नींद में डरावने सपने, सोते समय चलने की आदत, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसी समस्याएं भी इंसोम्निया का कारण बन सकती हैं।
दवाइयों का साइड इफेक्ट
कुछ एंटी-डिप्रेसेंट्स, स्टेरॉयड, एलर्जी और ब्लड प्रेशर की दवाएं भी नींद को प्रभावित कर सकती हैं।
अच्छी नींद के लिए क्या करें?
डॉ. अनिमेष आर्य कहते हैं कि कुछ आसान और असरदार आदतें अपनाकर जल्दी सोने में मदद मिल सकती है। इन तरीकों की मदद से महज 15 मिनट में नींद आ सकती है। अगर इन्हें पूरी ईमानदारी से फॉलो किया जाए तो आसानी से नींद आ जाएगी।
सांसों पर ध्यान दें
रात में अगर दिमाग अजीब-अजीब बातें सोचने लगे या पुरानी बातें दोहराने लगे तो गहरी सांस लेने का तरीका अपनाएं। इससे दिमाग शांत होगा और स्ट्रेस कम होगा। अपना ध्यान हर चीज से हटाकर सांसों पर लगाएं।
यह कैसे करें?
- धीरे-धीरे नाक से 5 सेकंड तक गहरी सांस लें।
- फिर धीरे-धीरे 5 सेकंड तक सांस छोड़ें।
- इस प्रक्रिया को कम से कम 10 बार दोहराएं।
- अगर चाहें तो इस दौरान फोन दूर रखकर बहुत धीमा रिलैक्सिंग म्यूजिक लगा सकते हैं।
माहौल को शांत और सुकून भरा बनाएं
कुछ लोगों को टीवी या मोबाइल देखकर सोने की आदत होती है। ये आदत कुछ दिन बाद नींद उड़ा सकती है। अगर गहरी और सुकून भरी नींद चाहिए तो सोने से पहले आसपास के माहौल में शांति जरूरी है।
इसके लिए क्या करें?
- कमरे की रोशनी बहुत हल्की रखें और टीवी बंद कर दें।
- अगर बाहर का शोर परेशान कर रहा है तो रिलैक्सिंग म्यूजिक चला लें।
- बारिश की आवाज, समुद्र की लहरें या हल्की सुरीली धुनें भी नींद में मदद कर सकती हैं।
- अगर आपका पार्टनर खर्राटे लेता है तो इयरप्लग्स लगाकर सो सकते हैं।
ब्लू लाइट से बचें
मोबाइल, लैपटॉप और टीवी से निकलने वाली ब्लू लाइट हमारे ब्रेन को अलर्ट रखती है, जिससे नींद के लिए जरूरी हॉर्मोन, मेलाटॉनिन सही से काम नहीं करता और नींद उड़ जाती है।
इसके लिए क्या करें?
- सोने से कम-से-कम 1-2 घंटे पहले मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल न करें।
- अगर ये मुमकिन नहीं है तो ब्लू लाइट फिल्टर ऑन करें या ब्लू लाइट ब्लॉकर चश्मा पहनें।
- अगर सोने से पहले कुछ करना है तो किताब पढ़ने की आदत डालें।
किताब पढ़ें
रात में अगर दिमाग शांत नहीं हो रहा है तो एक अच्छी किताब आपकी मदद कर सकती है। पढ़ने से दिमाग का फोकस बदलता है और तनाव कम होता है।
इसके लिए क्या करें?
- रोमांचक थ्रिलर या हॉरर किताबें न लें, ये आपको और जगाएंगी!
- हल्की-फुल्की फिक्शन, सेल्फ-हेल्प या कोई मजेदार मैगजीन पढ़ें।
- बहुत तेज लाइट न जलाएं, बल्कि एक सॉफ्ट रीडिंग लाइट का इस्तेमाल करें
हर्बल चाय ट्राई कर सकते हैं
अगर आपको चाय या कॉफी की लत है तो ध्यान दें, कैफीन आपकी नींद की सबसे बड़ी दुश्मन हो सकती है। इसकी जगह हर्बल टी आजमाएं, जो नेचुरल तरीके से आपको सुलाने में मदद कर सकती है।
इसके लिए क्या करें?
- कैमोमाइल या लैवेंडर टी पिएं, जो नींद के लिए बेहतरीन मानी जाती हैं।
- इसे अपनी नाइट रूटीन का हिस्सा बनाएं, जैसे ब्रश करना या फोन साइलेंट करना।
सोने का माहौल आरामदायक बनाएं
आपका बेड जितना आरामदायक होगा, नींद उतनी ही अच्छी आएगी। कभी-कभी खराब तकिया, बेडशीट या गद्दा भी आपकी नींद को प्रभावित कर सकता है।
इसके लिए क्या क्या करें?
- आरामदायक तकिया और गद्दा इस्तेमाल करें, जो आपकी सोने की पोजिशन के मुताबिक हो।
- अगर बहुत गर्मी लगती है तो ठंडी और हवादार बेडशीट्स का इस्तेमाल करें।
- हल्की ठंडी हवा में बेहतर नींद आती है। इसलिए चाहें तो पंखा या एसी ऑन रखें।
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