
वंदे भारत एक्सप्रेस की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं. रेलवे सुरक्षा आयोग ने चेतावनी दी है कि तेज रफ्तार में मवेशियों से टकराने पर हादसा हो सकता है. सुझाव दिया गया है कि लेवल क्रॉसिंग गेट हटाए जाएं और ट्रैक के दोनों ओ…और पढ़ें

हाइलाइट्स
- वंदे भारत की सुरक्षा पर उठे सवाल
- तेज रफ्तार में मवेशियों से टकराने पर हादसे की आशंका
- रेलवे सुरक्षा आयोग ने फेंसिंग और गेट हटाने का सुझाव दिया
नई दिल्ली. भारतीय रेलवे की हाई-टेक और सेमी-हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार इसकी रफ्तार नहीं बल्कि सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं. ‘द हिंदू’ की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे सुरक्षा आयोग (Commission of Railway Safety) की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि वंदे भारत ट्रेनें तेज रफ्तार में गाय या किसी भी रुकावट से टकराने पर बड़े हादसे का शिकार हो सकती हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वंदे भारत की अगली बोगी (फ्रंट कोच) आम ट्रेनों के इंजन की तुलना में हल्की होती है. ऐसे में अगर कोई मवेशी या अन्य बाधा ट्रैक पर आ जाए तो हाई स्पीड पर बड़ा हादसा हो सकता है.
रेल मंत्रालय को सुझाव दिया गया है कि 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले रूट्स पर सभी लेवल क्रॉसिंग गेट हटाए जाएं. इसके अलावा रेलवे ट्रैक के दोनों ओर मजबूत फेंसिंग होनी चाहिए ताकि इंसान और जानवरों का प्रवेश रोका जा सके. रेलवे सुरक्षा बल (RPF) को नियमित गश्त और संवेदनशील इलाकों में तैनात करने का सुझाव भी दिया गया है. साथ ही किसानों के लिए अंडरपास या सबवे बनाए जाएं ताकि वो मवेशियों के साथ ट्रैक पार कर सकें.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वंदे भारत की कई बोगियां चेन्नई के ICF, कपूरथला के RCF और रायबरेली के MCF में बन रही हैं. अभी तक देशभर में 136 वंदे भारत ट्रेन सेवाएं चल रही हैं और सिर्फ 2024 में ही 62 नई ट्रेनें शुरू की गईं. लेकिन इन ट्रेनों से मवेशियों के टकराने की घटनाएं लगातार सामने आई हैं जिससे सामने वाले कोच को नुकसान भी हुआ है.
क्या है ट्रेन बनाने वालों की राय
हालांकि, वंदे भारत ट्रेन बनाने वाली टीम के प्रमुख और ICF के पूर्व प्रधान चीफ मैकेनिकल इंजीनियर शुभ्रांशु ने कहा, “इन ट्रेनों का फ्रंट नोज ऐसे डिजाइन किया गया है कि वो टकराव की स्थिति में कुछ हद तक झटका सह सके. वहीं, फ्रंट में लगा कैटल गार्ड भी रुकावट को किनारे करने में मदद करता है.”
उन्होंने आगे कहा, “इन ट्रेनों की फ्रंट बोगी हल्की ज़रूर है, लेकिन ये इंटरनल पावर डिस्ट्रिब्यूशन वाला सेटअप है, जिसमें आगे इंजन नहीं होता. EMU और MEMU जैसे ट्रेनसेट्स में भी यही डिजाइन होता है और इससे ट्रेन की सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ता.”
शुभ्रांशु वही अधिकारी हैं जिन्होंने अक्टूबर 2018 में रिकॉर्ड 18 महीनों में पहली ट्रेन-18 (वंदे भारत) को तैयार किया था. जिसे फरवरी 2019 में पीएम मोदी ने दिल्ली से वाराणसी के लिए हरी झंडी दिखाई थी. वंदे भारत को ‘मेक इन इंडिया’ का सबसे सफल उदाहरण माना गया है.