
सोना (Gold) निवेशकों के लिए एक बार फिर सुरक्षित पनाहगाह बनकर उभरा है. साल 2025 के पहले चार महीनों में ही सोना लगभग 25 फीसदी तक चढ़ चुका है और MCX और COMEX दोनों अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. माना जा रहा है कि गोल्ड में यह तेजी ट्रेड वॉर, महंगाई के दबाव और निवेशकों की ‘सेफ हेवन’ संपत्तियों की ओर झुकाव के कारण आई है.
ट्रेड वॉर ने बढ़ाई मांग
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड टेंशन, वैश्विक स्तर पर बढ़ते युद्ध जैसे हालात और महंगाई की स्थिति ने निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया है. इसके अलावा, दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी भी कीमतों को मजबूती दे रही है.
द मिंट से बात करते हुए, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के ग्रुप सीनियर वाइस प्रेसिडेंट नवनीत दमानी कहते हैं कि नीतिगत अनिश्चितता, वैश्विक महंगाई और जियोपॉलिटिक्स की अस्थिरता के बीच सोना एक स्थिर संपत्ति के रूप में उभरा है. सेंट्रल बैंकों और निवेशकों की बढ़ती रुचि इसे और मजबूती दे रही है. दमानी के अनुसार, मौजूदा स्थिति को देखते हुए मीडियम से लॉन्ग टर्म के लिए ‘बाय ऑन डिप्स’ की रणनीति बेहतर मानी जा रही है.
अभी खरीदें या करें इंतजार?
अगर आप अभी सोना खरीदना चाहते हैं तो शायद आपको रुकने की जरूरत है. दरअसल, सोना अभी अपने टॉप लेवल पर है और यहां से मुनाफा वसूली और करेक्शन की पूरी संभावना है. ऐसे में अगर आपने इस रेट पर गोल्ड में निवेश किया और आपके निवेश के बाद मुनाफा वसूली शुरू हो गई तो आपका पैसा फंस सकता है.
लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए स्ट्रैटेजी
जो निवेशक लॉन्ग टर्म में वेल्थ प्रिजर्वेशन या जियोपॉलिटिकल रिस्क से बचाव चाहते हैं, उनके लिए अभी भी सोने में निवेश का सही समय है. हालांकि, ये निवेश Dollar Cost Averaging की रणनीति से करना चाहिए. यानी धीरे-धीरे, किस्तों में खरीदारी करना ताकि औसत कीमत पर निवेश हो सके.
डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)
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