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नया कानून 1983 के इमिग्रेशन एक्ट की जगह लेगा।
केंद्र सरकार विदेश में नौकरी के लिए जाने के नियम सख्त बना रही है। विदेश मंत्रालय नया कानून बना रहा है। बिल का ड्राफ्ट जल्द जारी होगा। जनता और विशेषज्ञों से राय लेने के बाद संसद के मानसून सत्र में इसे पेश किया जाएगा। अवैध तरीके से अमेरिका गए भारतीयों के डिपोर्टेशन के बाद ये प्रक्रिया तेज हुई है।
नया कानून 1983 के इमिग्रेशन एक्ट की जगह लेगा। इसका नाम इमिग्रेशन, ओवरसीज मोबिलिटी, फैसिलिटेशन एंड वेलफेयर बिल होगा। नौकरी के अलावा पढ़ाई और व्यवसाय के लिए विदेश जाने वालों की समस्याएं और मुद्दे भी इसमें शामिल हैं।
इसमें भर्ती एजेंसियों की गैर-कानूनी गतिविधियां अपराध की श्रेणी में रखी जाएंगी। अब सिर्फ रजिस्ट्रेशन रद्द करने या ब्लैक लिस्टिंग जैसी कार्रवाई नहीं होगी। विदेश में नौकरी का झांसा देकर भारतीयों को फंसाने पर 5 से 10 साल की सजा और 1 से 10 लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान होगा।

अमेरिका से भारत डिपोर्ट किए गए लोगों के पैरों में चेन बंधी हुई थी।
2024 तक देश में 3094 गैर पंजीकृत एजेंट
विदेश मंत्रालय के अनुसार, अक्टूबर 2024 तक देश में 3094 गैर पंजीकृत एजेंट पहचाने गए थे। नौकरी के लिए विदेश जाने वालों के लिए डिक्लेरेशन अनिवार्य किया जा सकता है। इससे विदेशों में भारतीयों की संख्या का सही आंकड़ा रखा जा सकेगा।
पुराने कानून में विदेश में पढ़ने जाने वालों के मुद्दे शामिल नहीं थे। नए बिल में ऐसे एजेंटों पर भी कार्रवाई होगी, जो छात्रों को झूठे वादे कर विदेश भेजते हैं। बिल मजबूत बनाने के लिए उन राज्यों से राय ली जाएगी, जहां से बड़ी संख्या में लोग नौकरी के लिए विदेश जाते हैं। भारतवंशियों के बीच काम करने वाले संगठनों को भी ड्राफ्ट भेजा जाएगा।
नया बिल अहम क्यों हैं? दुनियाभर में इस समय साढ़े तीन करोड़ भारतीय फैले हैं। इनमें से 1.58 करोड़ एनआरआई हैं, जबकि 1.97 करोड़ भारतीय मूल के लोग हैं। अमेरिका ने हाल ही में अपने यहां अवैध तरीके से पहुंचे भारतीयों को बेड़ियों में जकड़कर डिपोर्ट किया था।
माना जा रहा है कि अमेरिका के बाद अब अन्य देशों में भी इमिग्रेशन कानून सख्त हो सकते हैं। ऐसे में भारत सरकार इमिग्रेशन की एक पारदर्शी व सुरक्षित व्यवस्था तैयार करना चाहती है, ताकि भविष्य में किसी तरह की शर्मिंदगी और नागरिकों को होने वाली दिक्कतों से बचा जा सके।
अब जानिए 1983 में भारत में इमिग्रेशन एक्ट के बारे में…
1983 में भारत में इमिग्रेशन एक्ट के रूप में The Emigration Act, 1983 पारित किया गया था। यह कानून भारतीय नागरिकों के विदेश में रोजगार के लिए प्रवास को विनियमित करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था।
- उद्देश्य और दायरा यह अधिनियम भारतीय नागरिकों के प्रवास को नियंत्रित करने और भर्ती एजेंटों द्वारा श्रमिकों के शोषण और धोखाधड़ी को रोकने के लिए बनाया गया था। यह पूरे भारत में लागू होता है और विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों पर भी लागू है।
- प्रवास अधिकारियों की नियुक्ति केंद्रीय सरकार द्वारा प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमीग्रेंट्स और आवश्यकतानुसार कई प्रोटेक्टर्स ऑफ इमिग्रैंट्स (POE) नियुक्त किए जा सकते हैं। ये अधिकारी भर्ती प्रक्रिया की निगरानी और प्रवासियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- भर्ती एजेंटों का पंजीकरण विदेश में रोजगार के लिए भर्ती करने वाले एजेंटों को प्रोटेक्टर जनरल ऑफ इमीग्रेंट्स या अन्य अधिकृत प्राधिकरण के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य है। बिना पंजीकरण के भर्ती गैरकानूनी है।
- इमिग्रेशन क्लीयरेंस विदेश में रोजगार के लिए जाने वाले भारतीय नागरिकों को प्रोटेक्टर ऑफ इमीग्रेंट्स से इमिग्रेशन क्लीयरेंस प्राप्त करना होता है। यह क्लीयरेंस प्रक्रिया धोखाधड़ी और गैरकानूनी प्रवास को रोकने के लिए है।
- अपराध और दंड अधिनियम में भर्ती में धोखाधड़ी, गलत दस्तावेजों का उपयोग, या गैरकानूनी प्रवास जैसे अपराधों के लिए दंड का प्रावधान है। केंद्रीय सरकार की पूर्व अनुमति के बिना ऐसे अपराधों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
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