
400 किलोमीटर लंबी दरार
म्यांमार टेक्टोनिक रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है, जहां भारत और यूरेशिया की प्लेटें टकराती हैं। सीस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका की वार्षिक बैठक में दुनिया भर के शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष साझा किए हैं। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे के भूकंप विज्ञानी सुसान हॉफ के अनुसार, मार्च में आए भूकंप ने सागांग फॉल्ट के 400 किलोमीटर से अधिक हिस्से को तोड़ दिया। यह प्रमुख स्ट्राइक-स्लिप फॉल्ट मध्य म्यांमार से होकर गुजरता है।
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के शोधकर्ता नादिन रीटमैन ने बताया कि यह दरार दुनिया भर में दर्ज की गई सबसे बड़ी सतह दरारों में से एक है। सागांग फॉल्ट ने पिछली सदी में 6 तीव्रता और उससे बड़े कई भूकंपों को पैदा किया है, लेकिन 1839 के बाद से 7 तीव्रता के भूकंप का अनुभव नहीं हुआ था।
सुपरसोनिक रफ्तार से बनी दरार
जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के झीगांग पेंग ने कहा कि यह दरार शुरुआत में धीमी गति से होने के बाद ध्वनि की गति से भी तेज गति से टूट गई। पेंग ने कहा कि थाईलैंड और चीन के युन्नान और ग्वांग्डन प्रांतों में भूकंप के बाद भूकंपीय गतिविधि में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह म्यांमार में आए शक्तिशाली भूकंप से उत्पन्न तनावों के व्यापक रूप से सक्रिय होने का संकेत देती है।