
Karnataka Muslim Reservation Bill: सरकारी ठेकों में मुसलमानों को 4% आरक्षण देने वाले बिल को राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेज दिया है.

हाइलाइट्स
- कर्नाटक: राज्यपाल ने मुस्लिम आरक्षण वाला बिल राष्ट्रपति को भेजा.
- राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने बिल को असंवैधानिक बताया.
- मंजूर करें या वापस भेजें, अंतिम फैसला राष्ट्रपति के हाथों में.
बेंगलुरु: कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण देने वाला बिल अब राष्ट्रपति की दहलीज तक पहुंच गया है. राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेज दिया है. राज्यपाल ने अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करते हुए इस बिल को रोक दिया. बिल को मार्च में विधानसभा ने पारित किया था. गहलोत ने कहा कि संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता. इससे पहले, विपक्षी बीजेपी और जेडीएस ने इस बिल को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए राज्यपाल को ज्ञापन दिया था. उनका आरोप था कि यह बिल समाज को ध्रुवीकृत करेगा. अब इस मामले में अंतिम फैसला राष्ट्रपति के हाथों में है.
पिछले महीने विधानसभा ने ‘कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (संशोधन) विधेयक, 2025’ पारित किया था. इसके तहत दो करोड़ रुपये तक के (सिविल) कार्यों और एक करोड़ रुपये तक के माल/सेवा खरीद ठेकों में मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है.
सिद्धारमैया ने किया मुस्लिम आरक्षण का बचाव
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपनी सरकार के इस कदम का पुरजोर बचाव किया है. उन्होंने सोमवार को सवाल किया कि ऐसा क्यों नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर लोगों को ताकत देना कांग्रेस पार्टी का मिशन और प्रतिबद्धता है. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि उन पर उच्च वर्ग विरोधी होने का ठप्पा लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वह उन लोगों के साथ खड़े हैं जिन्हें अवसरों से वंचित रखा गया है और जिन्हें न्याय नहीं मिला है.
दिलचस्प यह कि सिद्धारमैया का बयान उसी दिन आया, जब हरियाणा के हिसार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला था. पीएम मोदी ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों को छीनने तथा निविदाओं के संबंध में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का आरोप लगाया था. प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता.