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Emergency Movie Review: कंगना रनौत की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘इमरजेंसी’ आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म में कंगना ‘इंदिरा गांधी’ के किरदार में नजर आ रही हैं. यह फिल्म इंदिरा गांधी के जीवन पर आधारित है. तो च…और पढ़ें

‘इमरजेंसी’ देखने से पहले पढ़ लें फिल्म रिव्यू.
इमरजेंसी 3
Starring: कंगना रनौत, अनुपम खेर, श्रेयस तलपड़े, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमन, विशाक नायर, सतीश कौशिक और अन्यDirector: कंगना रनौतMusic: जीवी प्रकाश कुमार और अर्को
कंगना रनौत ने 2 साल बाद फिल्म ‘इमरजेंसी’ के जरिए पर्दे पर वापसी की है. इससे पहले साल 2023 में वह फिल्म ‘तेजस’ में नजर आई थीं, जो बॉक्स ऑफिस पर सफल साबित नहीं हो सकी. कंगना की फिल्म ‘इमरजेंसी’ देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने इस किरदार के लिए काफी मेहनत की है. फिल्म में उनकी मौजूदगी इंदिरा गांधी की तरह थी. फिल्म में इंदिरा गांधी के बचपन से लेकर उनकी मौत तक को बेहद कम समय में और शानदार तरीके से पेश किया गया है. तो चलिए आपको बताते हैं कि कंगना की ‘इमरजेंसी’ कैसी है?
फिल्म के बारे में बताने से पहले मैं यह कहना चाहूंगा कि इस फिल्म को हर उम्र के लोग देख सकते हैं. बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर कोई इस फिल्म के जरिए इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व को आसानी से समझ सकता है. फिल्म की कहानी इंदिरा गांधी के बचपन से शुरू होती है, जहां उनकी बुआ उनकी टीवी से पीड़ित मां को परेशान करती नजर आती हैं, जो इंदिरा को पसंद नहीं आता और वह अपने पिता जवाहरलाल नेहरू (संजय गुरबक्सानी) के पास यह कहने जाती हैं कि उनकी बुआ को घर से बाहर निकाल देना चाहिए, बदले में नेहरू उन्हें कहते हैं कि उनके दादा घर के मालिक हैं, इसलिए उन्हें जाकर बताना चाहिए. फिर इंदिरा अपने दादा के पास जाती हैं और उनके दादा उन्हें शिक्षा देते हैं और शासक का मतलब बताते हैं.
फिल्म देखने से पता चलता है कि इंदिरा शुरू से ही अपने दादा के दिखाए रास्ते पर चलती रहीं. बड़ी होने पर वह कांग्रेस में अपनी अलग पहचान बनाती हैं. नेहरू अपनी बेटी इंदिरा के कई फैसलों से किसी न किसी तरह खुश नहीं थे, क्योंकि इंदिरा उनकी बात नहीं मानती थीं. फिल्म में एक जगह इंदिरा को यह कहते हुए भी दिखाया गया है कि वह जानती थीं कि उनके पिता हार बर्दाश्त नहीं कर सकते. वहीं इंदिरा की निजी जिंदगी में भी काफी उथल-पुथल दिखाई गई. उनकी अपने पति फिरोज गांधी से कभी नहीं बनी. न तो वह कभी अपने पिता का दिल जीत पाईं और न ही अपने पति का.
चूंकि फिल्म इमरजेंसी पर आधारित है, इसलिए मैं यहां सिर्फ इतना कह सकता हूं कि इंदिरा इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थीं कि उनसे गलती हुई है, लेकिन यह गलती उन्होंने कैसे और किसकी वजह से की, यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाकर पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी. इसमें कोई शक नहीं है कि फिल्म में कंगना ने जबरदस्त परफॉर्मेंस दी है. इंदिरा गांधी की तरह चलने, बोलने और दिखने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है, जो उनकी एक्टिंग में साफ झलकता है. फिल्म में दिखाया गया एक और दमदार किरदार इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी का है, जिसका रोल विशाक नायर ने निभाया है. अगर कंगना के बाद आपको किसी और की एक्टिंग काफी पसंद आने वाली है तो वो हैं विशाक नायर की.
कंगना और विशाक नायर के अलावा अनुपम खेर (जयप्रकाश नारायण), श्रेयस तलपड़े (अटल बिहारी वाजपेयी), मोरारजी देसाई के रूप में अशोक छाबड़ा, इंदिरा गांधी की करीबी पुपुल जयकर के रूप में महिमा चौधरी, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के रूप में मिलिंद सोमन और जगजीवन राम के रूप में सतीश कौशिक की एक्टिंग भी जबरदस्त है. इन सभी सितारों ने अपने किरदारों के साथ पूरा न्याय किया है. इस फिल्म के जरिए महिमा लंबे समय बाद पर्दे पर नजर आई हैं, वहीं सतीश कौशिक की शायद यह आखिरी फिल्म होगी क्योंकि अब वे हमारे बीच नहीं हैं.
फिल्म का निर्देशन खुद कंगना रनौत ने किया है, जिसकी आप तारीफ करेंगे. उन्होंने छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान दिया है. फिल्म में कुछ कमियां भी हैं, जैसे फिल्म में कई जगह आपको कई लोग बंगाली, अंग्रेजी और फ्रेंच में बोलते दिखेंगे, जिसे समझना शायद हर किसी के लिए आसान न हो. ऐसे में अगर सबटाइटल भी दिए जाते स्क्रीन पर तो आसानी से चीजें समझ में आ सकती थीं. दूसरी बात, फिल्म की गति पहले हाफ में काफी अच्छी है, लेकिन दूसरे हाफ तक आते-आते फिल्म काफी धीमी हो जाती है. इसके अलावा फिल्म के गाने भी कुछ खास नहीं हैं, अगर कुछ अच्छे देशभक्ति गाने जोड़े जाते तो शायद यह 26 जनवरी से पहले कुछ कमाल कर सकती थी. कुल मिलाकर आप इस फिल्म को एक बार पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं. मेरी तरफ से फिल्म को 3 स्टार.