Ram Navami 2025 Ayodhya : पवित्र सरयू में स्नान के साथ अयोध्या में रामनवमी पर्व के उत्सव का आगाज हो गया। सुबह से ही देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु सरयू में आस्था की डुबकी लगाने के लिए विभिन्न घाटों पर पहुंचने लगे हैं। घाटों पर भारी भीड़ है। जय श्री राम का उद्घोष लगाते हुए श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। सरयू स्नान के बाद श्रद्धालुओं का कारवां नागेश्वर नाथ, हनुमानगढ़ी, कनक भवन और राम मंदिर की ओर रवाना हो रहा है। सरयू के घाटों पर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। जल पुलिस के साथ एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की तैनाती की गई है। राम मंदिर में दर्शन पूजन का दौर शुरू हो गया है। मंदिर परिसर के बाहर भक्तों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। राम मंदिर के साथ हनुमान गढ़ी में भी बड़ी संख्या में भक्त दिख रहे हैं।
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ऐसे होगा जन्मोत्सव का कार्यक्रम
रामलला के दरबार में थोड़ी देर मेंजन्मोत्सव के कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। सबसे पहले रामलला का अभिषेक किया जाएगा। यह करीब एक घंटे चलेगा। इसके बाद पर्दा पड़ जाएगा और भोग प्रसाद लगाया जाएगा। 10 मिनट के ठहराव के बाद फिर रामलला का श्रृंगार किया जाएगा। इसकी अवधि भी एक घंटे के करीब होगी। इसके बाद फिर 10 मिनट के लिए ठहराव आएगा। भोग प्रसाद लगेगा और फिर ठीक दोपहर 12:00 बजे रामलला का जन्म होगा। इस दौरान सूर्य की किरणों से रामलला के ललाट पर तिलक किया जाएगा। उनके मस्तक पर सूर्याभिषेक होगा। इस पल की साक्षी पूरी दुनिया बनेगी। विभिन्न माध्यमों से इसका लाइव प्रसारण किया जाएगा। अयोध्या में जगह-जगह एलईडी से लाइव प्रसारण के इंतजाम किए गए हैं। राम मंदिर के बाहर भी इसे विभिन्न स्थानों पर देखा जा सकेगा। इस दौरान जो श्रद्धालु राम मंदिर में मौजूद रहेंगे, वह इसके साक्षात दर्शन करने के सौभाग्यशाली बनेंगे।
12 बजे होगा सूर्य तिलक
रामलला के दरबार में रामजन्मोत्सव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस साल रामनवमी के दिन, जब रामलला का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, ठीक उसी समय सूर्य तिलक भी होगा। तीन शुभ योग रवि योग, सर्वार्थसिद्धि योग और सुकर्मा में रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा। इस महत्वपूर्ण अवसर पर शनिवार को लगातार तीसरे दिन सूर्य तिलक का सफल ट्रायल किया गया।
शनिवार की दोपहर ठीक 12 बजे सूर्य की किरणों ने रामलला के मस्तक को आलोकित किया और यह प्रक्रिया लगभग चार मिनट तक चली। रविवार को भी सूर्य तिलक की यही प्रक्रिया चार मिनट तक चलेगी। इसके लिए मंदिर के ऊपरी तल पर रिफ्लेक्टर और लेंस स्थापित किए गए हैं। ताकि सूर्य की किरणें सटीक रूप से रामलला के ललाट पर पहुंच सकें। सूर्य की रश्मियां लेंस के माध्यम से दूसरे तल के मिरर पर पहुंचेंगी और फिर इन किरणों का टीका 75 मिलीमीटर के आकार में रामलला के ललाट पर दैदीप्तिमान होगा। यह प्रक्रिया सूर्य की गति और दिशा पर निर्भर करेंगी। सूर्य तिलक के साथ-साथ रामलला का अभिषेक, श्रृंगार और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का लाइव प्रसारण किया जा जाएगा, ताकि देश-दुनिया के भक्त इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन सकेंगे।