Memories of Dilip Doshi: दिलीप दोशी और जावेद मियांदाद के बीच का एक किस्सा बहुत चर्चित हुआ था. जब मियांदाद ने उनसे मैच के दौरान पूछा था, “तेरा रूम नंबर क्या है, मैं तुम्हें वहीं मारना चाहता हूं.”
32 साल की उम्र में डेब्यू करने वाले दिलीप दोषी के नाम 33 टेस्ट मैचों में 114 टेस्ट विकेट हैं.
हाइलाइट्स
पूर्व स्पिनर दिलीप दोशी का 77 वर्ष की आयु में हुआ निधन
जावेद मियांदाद ने दिवीप दोशी से पूछा, ‘तेरा रूम नंबर क्या है?’
दोशी ने 4 साल के करियर में 33 टेस्ट और 15 वनडे मैच खेले
देर से उभरने वाले दिलीप दोशी 30 साल की उम्र में डेब्यू करने के बाद 100 विकेट लेने वाले कुछ क्रिकेटरों में से एक हैं. दरअसल अपने टेस्ट डेब्यू में ही दोशी ने 1979 में स्टार खिलाड़ियों से भरी ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाफ मैच ड्रॉ कराते हुए 6/103 का रिकॉर्ड दर्ज कराया था. उसी सीरीज में उन्होंने एक मैच में 8/103 का प्रदर्शन किया, जिससे भारत ने पारी से जीत हासिल की. इस महीने की शुरुआत में दिलीप दोशी ने बीसीसीआई पुरस्कार समारोह और लॉर्ड्स में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में भाग लिया. दिलीप दोशी ने टेस्ट मैचों में 114 और वनडे में 22 विकेट लिए.
दोशी- मियांदाद का वो किस्सा दिलीप दोशी और पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और बल्लेबाज जावेद मियांदाद के बीच का एक किस्सा बहुत चर्चित हुआ था. जावेद मियांदाद मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह बेहतरीन मनोरंजन करने वाले खिलाड़ी रहे हैं. मैदान पर अपनी चुटीली बातों से लेकर मैदान के बाहर की तीखी टिप्पणियों तक मियांदाद हमेशा लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते रहे हैं. ऐसा ही एक किस्सा दिलीप दोशी के साथ हुआ था, जब मियांदाद ने उनसे पूछा था, ‘तेरा रूम नंबर क्या है? मैं तुम्हें वहीं मारना चाहता हूं.’ यह घटना 1983 में घटी जब पाकिस्तान की टीम भारत दौरे पर थी और सीरीज का पहला टेस्ट मैच बेंगलुरु (तब बैंगलोर) में खेला जा रहा था.
क्या कहा पाक बल्लेबाज के बारे में इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इस घटना के बारे में दिलीप दोशी ने एक वीडियो इंटरव्यू में भारत के पूर्व बाएं हाथ के स्पिनर मुरली कार्तिक से कहा था, “मूल रूप से आपको यह समझना होगा कि जावेद के पास एक स्ट्रीट फाइटिंग एटिट्यूड था, वह वास्तव में एक महान बल्लेबाज हैं. मैंने जिन सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों को गेंदबाजी की है, उनमें से एक हैं. मैं वास्तव में एक प्रतिद्वंद्वी के रूप में उनका सम्मान करता हूं. वह एक अच्छे दोस्त भी हैं, मैं उन्हें मैदान के बाहर भी प्यार करता हूं, लेकिन एक बार जब वह मैदान पर आया, तो उसके चरित्र बदला हुआ था.”
लोगों को उकसाने में थे माहिर दिलीप दोषी ने कहा था, “जब आप उसे शॉट खेलने से रोकते हैं, तो वह आपकी एकाग्रता को भंग करने की कोशिश करता है, ताकि आपमें चिड़चिड़ापन पैदा हो और वह इसमें माहिर था. उसने किरण मोरे के साथ ऐसा किया, उसने डेनिस लिली के साथ ऐसा किया और उसने मेरे साथ भी कई बार ऐसा किया. इसलिए वह नजदीकी फील्डरों से कुछ कहता था ताकि वह मुझे संदेश दे सकें या गेंद फेंके जाने के बाद वह पास आकर कुछ कहता था.” उन्होंने कहा, “उस दिन बैंगलोर में मेरे रिकॉल टेस्ट में वह मुझसे यह पूछने की कोशिश कर रहे थे कि ‘तुम्हारा कमरा नंबर क्या है? मैं गेंद को वहीं मारना चाहता हूं.’ दोषी ने कहा, “यह भारतीय क्रिकेट का एक ऐसा वाकया बन गया जिसे कई लोगों ने दोहराया. लेकिन कुछ अतिरिक्त मसालों के साथ, लेकिन यह सब अच्छी हंसी-मजाक में था.” दिलचस्प बात यह है कि जब मुरली कार्तिक ने दिलीप दोषी से पूछा कि क्या मियांदाद उन्हें मैदान पर हरा सकते थे. तो भारतीय क्रिकेटर ने कहा, “उन्हें संघर्ष करना पड़ा. वह मुझे नहीं मार सके. हालांकि उन्होंने 98 रन बनाए और आउट हो गए.”
काउंटी क्रिकेट में भी खेले दोशी सौराष्ट्र के इस बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज ने 238 प्रथम श्रेणी मैच भी खेले और 898 विकेट चटकाए. दिलीप दोशी भारतीय घरेलू सर्किट में सौराष्ट्र और बंगाल का प्रतिनिधित्व करने के अलावा इंग्लिश काउंटी नॉटिंघमशायर और वारविकशायर के लिए भी खेले.