
छपरा के शेखपुरा गांव की गर्ल्स फुटबॉल टीम, इन टीम के पास खेलने के लिए मैदान भी नहीं फिर भी खेत में प्रैक्टिस कर राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम रोशन कर रही हैं.
- छपरा की फुटबॉल टीम में 95% बेटियां रिक्शा चालक और मजदूर की हैं.
- बेटियां खेत खलियान में खेलकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर रही हैं.
- फुटबॉल खेल के माध्यम से कई लड़कियों को नौकरी भी मिली है.
छपरा. छपरा में एक ऐसी फुटबॉल टीम है. जिस टीम की कहानी सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. इस फुटबॉल टीम में खेलने वाली 95% बेटियां रिक्शा चालक और मजदूर की हैं. जिनके खेलने के लिए मैदान भी नहीं है. वे खेत खलियान में खेल कर जिले और राज्य का नाम रोशन कर रही हैं. और आने वाली पीढ़ी के लिए एक नई लकीर खींच रही हैं.
1993 से यहां फुटबॉल खेली जा रही है. लेकिन यहां पहले लड़के खेला करते थे. अब लड़कियां भी खेल रही हैं. जिन्हें सफलता भी मिल रही है. छपरा से प्रदीप कुमार आकर यहां लड़कियों को प्रशिक्षण देते हैं जिन्हें मोहम्मद अली के द्वारा भरपूर सहयोग किया जाता है और दोनों मिलकर गरीब मजदूर की बच्चियों को आसमान छूने में सहयोग कर रहे हैं.
कोच प्रदीप कुमार ने बताया कि यहां पर खेलने वाली बच्चियों में काफी ज्यादा अनुभव है. आधा दर्जन से अधिक लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर चुकी हैं. तीन से चार लड़कियों को नौकरी भी मिली है. उन्होंने बताया कि यहां खेलने वाली सभी लड़कियां गरीब मजदूर की बेटियां हैं, जिनके पास अच्छे ग्राउंड पर जाकर खेलने के लिए पैसे नहीं हैं. इसके बावजूद भी इस खेत खलियान में खेल कर राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर रही हैं. यहां 2021 से लड़कियों ने खेलना शुरू किया है, और आज कई लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर चुकी हैं.
हम सब गरीब और मजदूर के बच्चे
लोकल 18 से मुस्कान खातून ने बताया कि शाम के 3 से लेकर 6 बजे तक हम लोग फुटबॉल का अभ्यास करते हैं. बिना थके बिना रुके भागते रहते हैं. हम लोगों का बस एक यही लक्ष्य है कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करते हुए अपने देश के लिए खेले, जिस लक्ष्य को लेकर प्रतिदिन 3 घंटे खेल मैदान पर पसीना बहाते हैं. उन्होंने बताया कि यहां खेलने के लिए उचित खेल मैदान भी नहीं है. और ना ही प्रशासन के द्वारा हम लोगों का कोई सहयोग किया जाता है. जबकि हम सभी गरीब और मजदूर के बच्चे हैं. खेलने के लिए घर के लोग भी उचित व्यवस्था घर के तंगी की वजह से नहीं कर पाते हैं. इसके बावजूद भी हम लोग लगातार सफलता हासिल कर रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक साल यहां से निकलकर लड़कियां जाती हैं, और बेहतर प्रदर्शन करके नाम रोशन कर रही हैं.
with more than 4 years of experience in journalism. It has been 1 year to associated with Network 18 Since 2023. Currently Working as a Senior content Editor at Network 18. Here, I am covering hyperlocal news f…और पढ़ें
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