Supreme Court Warns Telangana Government Over Illegal Tree Felling Near Hyderabad University | हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पेड़ों की कटाई, सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी: अधिकारियों को कहा-हैदराबाद विवि के पास वन क्षेत्र बहाल करें या जेल जाएं

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हैदराबाद51 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास कान्चा गाचीबोवली जंगल में पेड़ों की अवैध कटाई पर कड़ा रुख अपनाया और कहा कि यह काम पहले से योजनाबद्ध लगता है।

कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जंगल दोबारा तैयार नहीं किया गया तो तेलंगाना सरकार के अधिकारी जेल जा सकते हैं।

मामले में सुनवाई के दौरान सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि पेड़ों की कटाई ऐसे समय पर की गई जब कोर्ट 3 दिन की छुट्टी पर था, ताकि कोई रोक न लग सके।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को स्वत: संज्ञान लेते हुए आदेश दिया था कि वन क्षेत्र में यथास्थिति बनी रहे और कोई नया काम न हो। इसके बावजूद पेड़ों की कटाई की गई, जो आदेश का उल्लंघन है।

तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अब वहां कोई गतिविधि नहीं हो रही है और सरकार कोर्ट के आदेशों का पूरा पालन करेगी। मामले में अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।

तस्वीर 30 मार्च की है जब कांचा गाचीबोवली जंगल में बुलडोजर से पेड़ काटे गए थे।

16 अप्रैलः SC ने तेलंगाना सरकार को फटकार लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को तेलंगाना सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर वह चाहती है कि उसके मुख्य सचिव को किसी भी गंभीर कार्रवाई से बचाया जाए तो वह 100 एकड़ वन भूमि को पहले जैसा करने की योजना लेकर आए।

पेड़ों को काटने की कांग्रेस सरकार की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह भी कहा कि वह पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ‘ऑउट ऑफ दे वे’ जाने से पीछे नहीं हटेगी। बेंच ने यह भी कहा कि कांचा गाचीबोवली फॉरेस्ट एरिया में इस भूमि पर एक भी पेड़ नहीं काटा जाना चाहिए।

जस्टिस गवई ने तेलंगाना सरकार के वकील अभिषेक सिंघवी से कहा कि अपनी कार्रवाई को सही ठहराने के बजाय, आपके लिए बेहतर होगा कि इस बारे में कोई योजना बनाकर लाएं कि आप उस 100 एकड़ भूमि को कैसे बहाल करेंगे। वरना हम नहीं जानते कि आपके कितने अधिकारियों को उसी जगह पर बनाई जाने वाली अस्थायी जेल में जाना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- ऐसा करने की क्या जल्दी थी?

सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने पूछा, “छुट्टियों के तीन दिनों में ऐसा करने की क्या जल्दी थी? हमें केवल इस बात की चिंता है कि सक्षम प्राधिकारी की परमिशन के बिना बड़ी संख्या में पेड़ों को कैसे गिराया गया। बुलडोजर का इस्तेमाल कैसे किया गया। यदि आप निर्माण करना चाहते थे, तो आपको प्रक्रिया का पालन करना चाहिए था, परमिशन लेनी चाहिए थी।

बेंच ने कहा- हमें केवल पर्यावरण को होने वाले नुकसान की चिंता है। बेंच ने तेलंगाना सरकार को केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 15 मई को तय की है। साथ ही कहा कि इस बीच, वहां एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की बड़ी बातें…

  • हम ऐसे वीडियो देखकर हैरान है जिसमें शाकाहारी जानवर आश्रय की तलाश में भाग रहे हैं। इनमें से कुछ जानवरों को आवारा कुत्तों ने काट लिया।
  • हम तेलंगाना राज्य के वन्यजीव वार्डन को निर्देश देते हैं कि वह 100 एकड़ वनों की कटाई के कारण प्रभावित वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आवश्यक तत्काल कदमों की जांच करें और उन्हें लागू करें।

30 मार्च के प्रदर्शन की तस्वीर, छात्र आईटी पार्क के लिए पेड़ों को काटने का विरोध कर रहे थे।

क्या था हैदराबाद यूनिवर्सिटी से जुड़ा पूरा मामला

हैदराबाद विश्वविद्यालय कैंपस में बन रहे आईटी पार्क के लिए 400 एकड़ में फैले पुराने जंगल को नष्ट किया जा रहा था। आईटी पार्क बनाने के का विरोध कर रहे छात्रों और पुलिस के बीच 30 मार्च को खूब हंगामा हुआ।

छात्र पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं की वजह से प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे थे। जमीन साफ करने के लिए पुलिस की मौजूदगी में दर्जनों बुलडोजर लाए गए थे। इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हुई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 2 अप्रैल को यूनिवर्सिटी के पास की 400 एकड़ जमीन पर पेड़ों की कटाई का संज्ञान लिया था। कोर्ट ने तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को साइट का दौरा कर रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया था।

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