पति ने छोड़ा साथ, फिर भी नहीं हारी हिम्मत, यह काम कर बदल दी खुद की तकदीर! आज कमा रही लाखों

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Sucess Story: गुड़िया देवी ने तलाक और कठिनाइयों के बावजूद मछली पालन और सब्जी खेती से सफलता पाई. वह रायबरेली की महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो निराश्रित और बेसहारा हो गई हैं.

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गुड़िया देवी

हाइलाइट्स
  • गुड़िया देवी ने तलाक के बाद मछली पालन से सफलता पाई.
  • वह रायबरेली की महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं.
  • मछली पालन और सब्जी खेती से सालाना लाखों कमाती हैं.

सौरभ वर्मा/रायबरेली: वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तकदीर बदल दे. कल क्या होगा कभी मत सोचो, क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर बदल ले…. यह पंक्तियां रायबरेली की रहने वाली गुड़िया देवी पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं. क्योंकि उन्होंने अपनी मेहनत व लगन से अपनी तकदीर बदल दी. वह उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो निराश्रित व बेसहारा हो गई हैं. दरअसल हम बात कर रहे हैं रायबरेली जिले के शिवगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत बैंती गांव की रहने वाली गुड़िया देवी की. जिनकी कहानी ही कुछ ऐसी है, जिसे सुनकर आप भी उन्हें दिल से सलाम करेंगे.

गुड़िया देवी के मुताबिक उनका विवाह वर्ष 2002 में रायबरेली जनपद के महाराजगंज तहसील क्षेत्र अंतर्गत सलेथु गांव के रहने वाले अशोक कुमार से हुआ था. लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं चल सका. वर्ष 2005 में उनके पति ने उन्हें तलाक दे दिया. वह बताती हैं कि पति से तलाक मिलने के बाद उनके सर पर मानो गमों का पहाड़ टूट पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. पति का साथ छूटने के बाद वह अपने बेटे देव आकाश के साथ अपने पिता के घर रहने लगी. कुछ समय तक अपने पिता के घर रहने के बाद वह अपने फूफा जागेश्वर के घर गंगा खेड़ा गांव आकर रहने लगी. क्योंकि उनकी बुआ फूफा की कोई संतान नहीं थी. तो वह अपने बुआ-फूफा के बुढ़ापे का सहारा बनकर यहां रहने लगी और उनकी सेवा करने लगी.

बुआ और फूफा की दोनों की अचानक मौत हो गई

गुड़िया बताती हैं कि उनके फूफा लीज पर जमीन लेकर मछली पालन का काम करते थे. जिसमें वह भी उनके कार्य में हाथ बटाने लगी. परंतु उनके जीवन का संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ था. वर्ष 2022 में उनके बुआ और फूफा दोनो की अचानक मौत हो गई. दोनों की मौत के बाद वह फिर से बेसहारा हो गई. लेकिन उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों को अपनी सफलता में बदलने के लिए अपने फूफा के कार्य को संभाला और मछली पालन के काम में लग गई. अब वह बीते कई वर्षों से 10 हजार रुपए सालाना की दर से लीज पर एक बीघा जमीन लेकर तालाब बनाकर मछली पालन का काम कर रही है. जिससे वह अच्छा मुनाफा कमा रही है.

इन प्रजातियों की मछली का करती हैं पालन

वह बताती हैं कि वह मुख्य रूप से तीन प्रकार की मछलियों का पालन करती हैं, जिनमें रोहू, ग्रास कटर , कॉमन प्रजाति की मछलियां हैं. क्योंकि इनकी बाजारों में मांग अधिक होती है. जिससे वह आसानी से अच्छे दामों में बिक जाती हैं. इसके साथ ही वह तालाब के चारों ओर सब्जी की खेती भी कर रही हैं. जिसमें वह मुख्य रूप से खीरा, कद्दू, तोरई की फसल भी तैयार कर रही है. जिन्हें वह स्थानीय बाजारों से लेकर रायबरेली की बाजारों में बिक्री के लिए भेजती है. इस कार्य से भी वह अच्छा मुनाफा कमा लेती हैं. तालाब में पालने के लिए मछलियों के बच्चे वह लखनऊ के गोसाईगंज से लाती हैं. साथ ही उन्हें चारे के रूप में चावल की पॉलिश, सरसों की खली, मछली दाना खिलाती हैं.

गोरखपुर व लखनऊ के बाजारों में मछलियों की करती है बिक्री

लोकल 18 से बात करते हुए गुड़िया देवी बताती है कि वह तालाब में तैयार मछलियों को गोरखपुर व लखनऊ के बाजारों में बिक्री के लिए भेजती है. जहां से उन्हें मछलियों के अच्छे दाम मिल जाते हैं. आगे की जानकारी देते हुए वह बताती है कि वह साल में दो बार मछलियों की बिक्री करती है. वहीं मछली पालन के काम में 40 से 50 हजार रूपए की लागत आती है, तो लागत के सापेक्ष सालाना दो से ढाई लाख रुपए तक की आसानी से कमाई भी हो जाती है.

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